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    सांची डेयरी के अफसरों ने लोकायुक्त को चकमा देकर भर्ती घोटाले की जांच में लगवाया खात्मा

  • April 17, 2023

    • भोपाल पुलिस में केस दर्ज होने के बाद फिर खुला मामला, अरोपियों की गिरफ्तारी की तैयारी

    भोपाल। सरकार के लोकप्रिय दुग्ध ब्रॉड ‘सांची’ को तैयार करने वाले एमपी स्टेट कॉ-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के मुख्यालय में भर्ती घोटाला फिर से उजागर होने से अफसरों में हड़कंप मच गया है। व्यापमं द्वारा 7 साल पहले आयोजित भर्ती परीक्षा की वैधता बीतने के बाद भी नियुक्तियां करने के मामले में भोपाल पुलिस ने पिछले हफ्ते भोपाल दुग्ध संघ के प्रभारी सीईओ आरपीएस तिवारी समेत दो अन्य प्रबंधकों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी अपराधिक षड्यंत्र करने की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। फेडरेशन के अफसरों ने लोकायुक्त को गलत सूचना भेजकर जांच में खात्मा लगवा लिया है। चूंकि यह मामला पिछले 5 साल से डेयरी फेडरेशन में चल रहा था। शिकायककर्ता ने पुलिस से मांग की है कि भर्ती के आरोपी अफसरों को तत्काल हटाया जाए, न हीं तो वे जांच से जुड़े दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। शिकायतकर्ता विजय पांडेय ने पुलिस को दिए दस्तावेजों के अनुसार व्यापमं की सूची की वैधता समाप्त होने के बाद भर्ती की गई। तब आरपीएस तिवारी स्टेट कॉआरपरेटिव फेडरेशन में प्रशासक (कार्मिक) थे। अब वे वर्तमान में भोपाल दुग्ध संघ के प्रभारी सीईओ हैं। दुग्ध संघ में 21 लोगों की भर्ती अवैध थी। जिसकी जानकारी लोकायुक्त समेत राज्य शासन एवं विधानसभा में भी दी जा चुकी है। ऐेसे में तिवारी भोपाल दुग्ध संघ के सीईओ रहते दस्तावेजों से छेड़छाड़ करवा सकते हैं। उन्होंने वहां से हटाया जाए। इस मामले में आरपीएस तिवारी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। साथ ही मामले में मंत्रालय के अफसर भी बोलने से बच रहे हैं।

    जांच को दबाना चाहता है विभाग
    दुग्ध संघ में भर्ती मामले को विभागीय स्तर पर भी दबाने की शुरू से ही कोशिश होती रही है। भर्ती घोटाले को उजागर करने वाले विजय पांडे ने बताया कि एमपी स्टेट कॉ आपरेटिव फेडरेशन में पंकज पांडे की अवैध नियुक्ति की गई। हाईकोर्ट के निर्देश पर उसे बर्खास्त कर दिया है। हालांकि अभी तक उसे नोटिस तक नहीं दिया गया है। जबकि अन्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। कोर्ट ने आदेश में फेडरेशन के तत्कालीन प्रशासक को निलंबित करने के निर्देश दिए थे। निलंबन की अपील पर पशु पालन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव ने आरपीएस तिवारी को यह कहकर बहाल कर दिया था कि ‘मात्र माननीय उच्च न्यायालय की आड़ में बिना जांच एवं तथ्यों के अकेले अपीलार्थी को निलंबित करना विधिसंगत नहीं है।’ साथ ही अपर मुख्य सचिव ने बहाली आदेश में ही तिवारी को भोपाल दुग्ध संघ का प्रभारी सीईओ बने रहने के आदेश जारी किए थे।


    ये हैं अवैध नियुक्तियां
    शिकायकर्ता के अनुसार व्यापमं की सूची की वैधता समाप्त होने के बाद भोपाल के अलावा इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन दुग्ध संघ में की गई नियुक्तियों की जांच होती है तो यह संख्या 40 तक पहुंच सकती है। भोपाल दुग्ध संघ में 21 अवैध नियुक्तियां हैं। पंकज पांडेय की नियुक्ति 17 मई 2018 को की गई। जबकि व्यापमं की सूची की वैधता 13 जनवरी 2018 तक थी।

    लोकायुक्त को ऐसे किया गुमराह
    एमपीसीडीएफ में अवैध नियुक्तियों का मामला लोकायुक्त में भी पहुंचा था। इस मामले में एमपीसीडीएफ के अफसरों ने लोकायुक्त को भी गुमराह किया। लोकायुक्त को व्यापमं की सूची की वैधता 13 जनवरी 2018 की जगह 13 दिसंबर 2018 भेजा गया। इसके आधार पर लोकायुक्त ने केस में खात्मा लगा दिया। उसके बाद टाइपिंग त्रुटि बताकर व्यापमं सूची की वैधता 13 जनवरी 2018 वाला पत्र भेज दिया था। व्यापमं की परीक्षा परिणाम सूची की वैधता 18 महीने रहती है। भर्ती परीक्षा का परिणाम 18 जुलाई 2016 को जारी हुआ। जिसकी 18 महीने की वैधता 17 जनवरी 2018 तक है। जबकि एमपीसीडीएफ ने इसके बाद नियुक्तियां की थीं।

     

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