उज्जैन। छठ महापर्व के तीसरे दिन कल शाम व्रतधारी महिलाओं ने शिप्रा के जल में खड़े होकर गोधूलि बेला में अस्त होते सूर्य को अघ्र्य दिया, वहीं आज सुबह रामघाट सहित अन्य घाटों पर उगते सूर्य को अघ्र्य देकर चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन किया। शाम को गंगाजल मिश्रित जल से स्नान और भगवान सूर्य का ध्यान कर छठी मैया का पूजन किया गया, जिसके बाद खरना का प्रसाद ग्रहण किया गया और 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ। व्रती आज सुबह भी अघ्र्य दे रहे हैं।
अघ्र्य देकर उपवास तोड़ा
आज व्रतकारियों ने पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अघ्र्य दिया। इसे उषा अघ्र्य या पारण दिवस भी कहते हैं। अघ्र्य देने के बाद व्रती महिलाएं सात या ग्यारह बार परिक्रमा कर एक-दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोलती नजर आई। इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास तोड़ा गया और छठ पर्व का समापन हुआ।
बाजार और घाटों पर रौनक
छठ पर्व की पूजा में इस्तेमाल होने वाली पूजन सामग्री और फल की खरीदी के लिए आज सुबह से बाजार में काफी रौनक नजर आ रही है। पुरुष सुबह से ही बाजार पहुंचकर फलों के साथ ही टोकरी की खरीदारी में लगे हुए हैं। छठ पूजा के लिए बाजार में बांस की टोकरी, सूप, गन्ना, अदरक का पौधा, मीठा नींबू, सिंदूर के साथ ही कई अन्य सामान और फल नजर आ रहे हैं, जो पूजा में प्रमुख तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं।
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