उज्जैन। शासन स्तर पर उच्च शिक्षा में सुधार के लिए भले ही कई प्रयास किए जा रहे हों, लेकिन छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए यह काफी नहीं है। चिंता की बात यह है जिले में 100 शासकीय कॉलेज हैं लेकिन सिर्फ दो या तीन कॉलेजों में ही नियमित प्राचार्य तैनात हैं। शेष कालेजों में शैक्षणिक व्यवस्था प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे ही चल रही हैं। इसका असर विद्यार्थियों के भविष्य पर पड़ रहा हैं।
उल्लेखनीय है कि जिले में 188 सरकारी और निजी कॉलेज हैं। इनमें लाखों की संख्या में विद्यार्थी अध्ययनरत हैं लेकिन अभी तक पढ़ाई का माहौल नजर नहीं आ रहा है। उज्जैन जिले में लीड कॉलेज की जिम्मेदारी भी प्रभारी प्राचार्य के कंधों पर है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन कॉलेजों में शैक्षणिक गतिविधियों सहित अन्य कार्य किस तरह से चल रहे होंगे। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो विभाग में सीनियर प्राध्यापकों के सेवानिवृत्ति के बाद अथवा पद खाली होने की स्थिति में उन पदों को प्रमोशन के जरिए नहीं भरा जा रहा है। पिछले करीब एक दशक से कॉलेजों में वरिष्ठता के आधार पर शिक्षकों को प्रमोट नहीं किया गया है। यही कारण है कि शासकीय कॉलेजों में प्राचार्य के पद खाली पड़े हुए हैं।
नियमित प्राचार्य न होने के कई नुकसान
विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक नियमित प्राचार्य नहीं होना नैक ग्रेडिंग के वक्त माइनस प्वाइंट के तौर पर गिना जाता है। इसके अलावा समान कैडर के होने की वजह से अन्य प्रोफेसर प्रभारी प्राचार्य की बातों को अनसुना कर देते हैं। प्रभारी प्राचार्य को सीआर लिखने का अधिकार नहीं होता और न ही कोई उच्च निर्णय लेने का अधिकार होता है। इसका सीधा असर विद्यार्थियों के भविष्य पर हो रहा हैं।
पीएचई की वसूली निराशा जनक होने से उपयंत्री का 7 दिन का वेतन कटा
उज्जैन। निगम आयुक्त रौशन कुमार सिंह राजस्व वसूली को लेकर बहुत चिंतित हैं। पीएचई की बैठक में सन्तोषाजनक वसूली नहीं होने से आपने सख्त नाराजगी व्यक्त की तथा उपयंत्री हरिनारायण एरवार का 7 दिवस का वेतन काटने के निर्देश दिये। निगम आयुक्त ने राजस्व वसूली की समीक्षा करते हुए निर्देशित किया कि पीएचई के विभिन्न अधिकारियों को वसूली का जो लक्ष्य दिया गया है उस अनुसार वसूली सुनिश्चित करें। अवैध कनेक्शनों को वैध किये जाने की कार्यवाही को गति दे और कम से कम डेढ़ करोड़ की राशि अगले 15 दिन में नवीन कनेक्शनों से प्राप्त करें। सिंहस्थ महापर्व के दृष्टिगत जल प्रदाय और सीवरेज सम्बंधी विशेष योजना तैयार करें। पिछले सिंहस्थ में जो योजना क्रियान्वित की गई थी उसकों ध्यान में रखकर योजना बनाएं।
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