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ओडिशा : हॉकी विश्वकप में हवा से पानी बनाए जाने का अनोखा कारनामा, जाने क्‍या है तकनीक ?

January 28, 2023

नई दिल्ली (New Delhi) । अगर आपसे कहा जाए कि सीधे हवा (wind) से पानी (water) बनाया जा सकता है, जिसे आप पीकर अपनी प्यास बुझा सकते हैं, तो इस बात पर शायद आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन भारत (India) में पहली बार बड़े स्तर पर हवा से पानी बनाया जा रहा है। इस पानी को ओडिशा (Odisha) में चल रहे पुरुष हॉकी विश्व कप (Men’s Hockey World Cup) में आने वाले दर्शक पी रहे हैं। भुवनेश्वर (Bhubaneswar) और राउरकेला के स्टेडियमों में कई ऐसे स्टैंड हैं जहां दर्शक हवा से पानी प्राप्त कर सकते हैं। ये तकनीक ने केवल भूजल को बचा सकती है बल्कि हवा को भी साफ कर रही है। अगर आप इन स्टेडियम में एंट्री करेंगे तो आपको हर मंजिल पर डिस्पेंसर मिलेंगे। इसके साथ ही यहां मीडिया और वीआईपी लाउंज में भी फ्री पानी मिलता है। ये सभी डिस्पेंसर पर लिखा है – ‘हवा से बना पानी’। ये सभी डिस्पेंसर एक बड़े स्टील टैंक से जुड़े हैं, जो स्टेडियम परिसर के भीतर हवा से चौबीसों घंटे पैदा होने वाले पानी को इकट्ठा करते हैं।


इजराइली कंपनी वाटरजेन ने लगाया है प्रोजेक्ट
हवा से पीने योग्य पानी बनाने का सिस्टम इजराइली कंपनी वाटरजेन ने लगाया है। ये कंपनी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, संयुक्त अरब अमीरात और वियतनाम सहित 90 से अधिक देशों में मशीनें लगा चुकी है। कंपनी वायुमंडलीय वाटर जनरेटर (AWG) में अग्रणी है जो हवा की नमी को ताजे पेयजल में बदल देती है। पिछले साल वाटरजेन ने भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम और राउरकेला के बिरसा मुंडा अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम में हॉकी विश्व कप (13-29 जनवरी) के हजारों दर्शकों को पानी उपलब्ध कराने के लिए हॉकी इंडिया के साथ एक डील की थी।

हॉकी इंडिया के साफ कंपनी ने की डील
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की ने वाटरजेन को नियुक्त करने का कारण बताते हुए कहा, ‘पानी किसी भी खेल आयोजन के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि लाखों लोग खेल देखने आते हैं। इसलिए हॉकी इंडिया में हमारे पास दुनिया को स्थायी प्रथाओं को अपनाने और प्रमोट करने का अवसर है। वाटरजेन इंडिया के सीईओ मायन मुल्ला ने कहा, ‘हम इस दूरदर्शी कदम में हमारा साथ लेने के लिए हॉकी इंडिया का आभार व्यक्त करना चाहते हैं। यह हॉकी विश्व कप खेलों में दुनिया का पहला ऐसा विश्व कप होगा, जहां हवा से पानी बनाया जा रहा है।’

कैसे बनता है हवा से पीने वाला पानी?
पानी बनाने के लिए लिए वायुमंडलीय हवा को पहले दो फिल्टरों का इस्तेमाल करके शुद्ध किया जाता है। ये फिल्टर PM2. 5 तक के सूक्ष्म कणों, गंदगी और प्रदूषण को हटाते हैं। इसके बाद शुद्ध हवा हीट एक्सचेंजर में जाती है, जहां इसकी नमी पानी में बदल जाती है। भुवनेश्वर स्टेडियम में वाटरजेन के प्रतिनिधियों ने टीओआई को बताया कि शुद्धिकरण और खनिजीकरण के लिए पानी चार फिल्टर से होकर जाता है। उनमें से एक ने कहा, ‘इसके बाद आप हवा से बना शुद्ध पेयजल प्राप्त करते हैं जो सभी प्रकार की अशुद्धियों से सुरक्षित है।’

स्टेडियम में वाटर जनरेटर की कितनी लागत?
दोनों स्टेडियमों में सभी इलेक्ट्रिक वाटर जनरेटर लगाने करने की कुल लागत 6 करोड़ रुपये आई। अगर मशीनें सौर या पवन ऊर्जा पर चलें, तो यह जीरो-कार्बन प्रक्रिया बन सकती है। यह पानी की कमी वाले ग्रामीण क्षेत्रों के लिए इसे एक अच्छा ऑप्शन बनाता है। स्टेडियमों में पानी के उत्पादन के लिए ग्रिड बिजली की अंतिम लागत उत्पादित पानी की मात्रा पर निर्भर करेगी। वाटरजेन लोगों को टेक्नोलॉजी के बारे में जागरूक कर रही है। कंपनी को लगता है कि इस सिस्टम की मदद से पीने के पानी की कमी को दूर करने के लिए कॉरपोरेट्स, नागरिक एजेंसियों, ग्रामीण समुदायों इसे अपनाएंगे।

पानी की बर्बादी को रोकता है वाटर जनरेटर
इस सिस्टम का एक दूसरा फायदा ये है ये हमारे घरों में पानी शुद्ध करने वाले रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) सिस्टम की तरह पानी बर्बाद नहीं करता। इसके साथ ही जनरेटर जो हवा वातावरण में छोड़ते हैं वो भी शुद्ध होती है, जिससे एयर क्वालिटी में भी सुधार होता है। वाटरजेन कंपनी का दावा है कि ये सिस्टम कार्बन उत्सर्जन को कम करेगा। इसके इस्तेमाल से पानी को कहीं ले जाने की जरूरत नहीं है और ये हानिकारक प्लास्टिक कचरे को भी खत्म करेगा।

विश्वकप के दौरान 2 लाख लीटर पानी बनाएगा सिस्टम
वाटरजेन ने दोनों स्टेडियम में अलग-अलग क्षमता के सिस्टम लगाए हैं। इनमें दो GEN-L (बड़ी) मशीनें शामिल हैं जो रोजाना 6,000 लीटर पानी का उत्पादन करती हैं, तीन GEN-M Pro (मीडियम) मशीनें जो 900 लीटर तक पानी का उत्पादन करती हैं और 30 GENNY (छोटी) मशीनें जो रोजाना 30 लीटर तक पानी का उत्पादन कर सकती हैं। अनुमान है कि दोनों मिलकर 16 दिनों तक चलने वाले विश्व कप के दौरान 2 लाख लीटर से ज्यादा पानी बनाएंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद काम आ सकता है सिस्टम
पानी की कमी वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से गांवों में वाटर जनरेटर की लागत के बारे में पूछे जाने पर, मुल्ला ने कहा, ‘हम बिजली की लागत को कम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का उपयोग करने की सलाह देते हैं। स्थानीय प्रशासन या पंचायत को इस ओर ध्यान देना होगा। हम हर मशीन के रखरखाव, संचालन और छोटी तकनीकी समस्याओं के निवारण के लिए एक या दो स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग देंगे। इनका खर्चा सरकार या पंचायत उठाएगी। कॉरपोरेट अपने सीएसआर बजट का इस्तेमाल ताजा, स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कर सकते हैं।’

कंपनी के सीईओ ने आगे कहा, ‘वाटर जनरेटर स्थापित करने के लिए कंपनी भारत और अन्य देशों की प्रमुख कॉरपोरेट्स, होटल्स और सरकारों के साथ बात कर रही है। इसके साथ ही वाटरजेन ने कुछ मेडिकल संस्थानों में GENNY के सााथ-साथ एक प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी और एक शराब कंपनी में भी अपने सिस्टम को लगाया है।

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