स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के लिए उन्मुखीकरण कार्यक्रम का किया शुभारंभ
भोपाल। प्रदेश के स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का मकसद मानवीय, संवेदनशील और बेहतर नागरिक का निर्माण करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समग्र दृष्टिकोण और उद्देश्य के अनुरूप क्रियान्वयन के लिए समाज में सकारात्मक और स्पष्ट समझ बनाने की आवश्यकता है।
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री परमार शनिवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के लिए आयोजित उन्मुखीकरण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्मुखीकरण के दौरान मिलने वाले सुझाव मध्य प्रदेश में शिक्षा नीति के विकास एवं क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होंगे।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के लिए संकल्पबद्ध है और प्रदेश ने इस दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया है। परमार ने कहा कि प्रदेश की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो देशानुकूल और युवानुकूल हो, ताकि राष्ट्र प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारत की परंपरा, मान्यता और ज्ञान को दुनिया के पटल पर लाकर देश के गौरव को बढा सकेंगे।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए गठित राज्य टॉस्क फोर्स के सदस्य, 13 उप समितियों के सदस्यों सहित अन्य शिक्षाविदों ने भी सहभागिता की।
राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस. ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) की विकास की प्रक्रिया में राज्य के पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एससीएफ) निर्माण की प्रक्रिया एनसीईआरटी के मार्गदर्शन और अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन सहित शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं, व्यक्तियों के सहयोग से जल्द आंरभ की जानी है। इसे एनसीईआरटी द्वारा विकसित टेक प्लेटफार्म के माध्यम से सुझाव आमंत्रित कर राज्य की पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एससीएफ) प्रस्तुत की जाएगी। इस मायने में इस उन्मुखीकरण की प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।
उन्मुखीकरण कार्यक्रम के प्रारंभिक सत्र में ”राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक समग्र दृष्टिकोण” विषय पर अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के कुलपति अनुराग बेहार ने कहा कि शिक्षा नीति की मंशा अनुसार बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान, प्रारम्भिक बाल्यावस्था में देखभाल और शिक्षा के पहलुओं पर विशेष तौर पर काम करने की जरूरत होगी। उन्होंने समग्र शिक्षा नीति के मूल सिद्धांतों और व्यापक पहलुओं को प्रस्तुत किया, जिसमें शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षा की प्रक्रिया, सशक्तता और स्वायत्ता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि शिक्षक शिक्षा को परिवर्तित करने की आवश्यकता है, जिससे हर शिक्षक को रचनात्मक स्वायत्ता और सम्मान मिल सके। उन्होंने पाठ्यक्रम और शिक्षण शास्त्र, शिक्षक और शिक्षक शिक्षा, स्कूल कॉम्प्लेक्स के मुददों पर भी अपने विचार रखें। दूसरे सत्र में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के ऋषिकेश और इंदुप्रसाद ने ” बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान” विषय विस्तार से संबंधित कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्पष्टता की।
इस वर्चुअल उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन स्कूल शिक्षा विभाग और अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से 10 और 11 जुलाई एवं 17 और 18 जुलाई 2021 को किया जा रहा है। उन्मुखीकरण कार्यक्रम में रविवार 11 जुलाई को दो सत्र आयोजित किए जायेंगे। सुबह 9:30 से 11 बजे तक के सत्र में “प्रारम्भिक बाल्यावस्था में देखभाल और शिक्षा” विषय पर, वहीं दूसरे सत्र दोपहर 11.30 से 1 तक ”पाठ्यक्रम और शिक्षण शास्त्र” विषय पर चर्चा होगी। (एजेंसी, हि.स.)
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