नई दिल्ली । वफ्फ बोर्ड संशोधन बिल (Waqf Board Amendment Bill) के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) की दूसरी मीटिंग (Second meeting) में शुक्रवार को जोरदार हंगामा हुआ। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल (BJP MP Jagdambika Pal) की अध्यक्षता में चल रही इस मीटिंग में समिति ने ऑल इंडिया सुन्नी जमायितुल उलमा मुंबई, दिल्ली स्थित इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स, उत्तर प्रदेश सुन्नी वफ्फ बोर्ड और राजस्थान बोर्ड ऑफ मुस्लिम वफ्फ के लोगों को बुलाया गया और इस मुद्दे पर उनके विचारों को सुना गया।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में शामिल इन संस्थानों ने बिल में कई मुद्दों पर अपनी चिंता जताई। अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टरों को वफ्फ संपत्तियों का सर्वे करने और निर्णय लेने के लिए अंतिम फैसला लेने की शक्तियां दी जा रही हैं, जो कि गलत है। इसके अलावा इन सभी ने वफ्फ बोर्ड में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर सरकार के इरादे पर भी सवाल उठाया। मुस्लिम संगठनों द्वारा उठाई गई चिंताओं का समर्थन करते हुए तमाम विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया। इस दौरान बिल के समर्थन में सरकार में शामिल सांसदों ने भी अपना पक्ष रखते हुए विपक्षी सांसदों का सामना किया।
जानकारी के मुताबिक इस मीटिंग के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और बीजेपी सांसद दिलीप सैकिया ने जमकर टिप्पणियां की। इसके कारण पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई। इस दौरान मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स और राजस्थान के बोर्ड के प्रतिनिधि के रूप में वकील के होने से दोनों ही तरफ के सदस्यों ने सदन में हंगामा किया और आखिरी में विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। DMK जैसी पार्टियों ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर कड़ी आपत्ति जताई. विपक्षी दलों ने जिलाधिकारियों को दी जा रही शक्तियों पर सवाल उठाए. विपक्षी सांसदों ने कहा कि जिला कलेक्टर विवादों पर कैसे निर्णय ले सकते हैं, क्योंकि इससे हितों का टकराव होगा.
संसद की संयुक्त समिति की अगली बैठक अब 5 और 6 सितंबर को
मीटिंग के दौरान समिति ने जनता, एनजीओ और एक्सपर्ट से भी उनकी राय मांगी। जो भी इस पर अपनी राय देना चाहता है उनके लिए एक पता दिया गया और एक ईमेल का पता भी दिया गया जिसके जरिए आप अपनी राय को दे सकते हैं।
इसके साथ ही समिति की अगली मीटिंग की तारीख घोषित की गई। अगली बैठक 5 और 6 सितंबर को होगी। 5 सितंबर को आवास मामलों के मंत्री, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और रेल मंत्रालय को इस संशोधन विधेयक पर अपने साक्ष्य रखने के लिए बुलाया गया है। इसके अलावा 6 सितंबर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय, जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया और तेलंगाना वफ्फ बोर्ड के प्रतिनिधि भी अपने बयान देने और विचार रखने के लिए बुलाए गए हैं। इससे पहले इस समिति की पहली मीटिंग 22 अगस्त को हुई थी। बजट सत्र में सरकार द्वारा यह बिल लाया गया था, जिसके बाद इसे और सर्वसम्मत करने के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया था।
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