नई दिल्ली । मोटापे (Obesity)से परेशाने भारतीयों(Indians) के लिए अच्छी खबर है। अमेरिकी दवा निर्माता(US drug makers) एली लिली एंड कंपनी (Eli Lilly and Company)ने गुरुवार को भारत (India)में अपनी वजन घटाने की दवा Mounjaro लॉन्च कर दी है। पश्चिमी देशों में यह दवा पहले से ही व्यापक स्तर पर बिक रही है। आपको बता दें कि भारत में मोटापा और उससे संबंधित टाइप-2 डायबिटीज एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गई है। इस दवा को एक सप्ताह में एक बार इंजेक्शन के तौर पर दिया जाना है। 5 मिलीग्राम डोज की कीमत 4375 रुपये है। वहीं, 2.5 मिलीग्राम के लिए 3500 रुपये खर्च करने होंगे।
Mounjaro का रासायनिक नाम tirzepatide है। भारत की केंद्रीय दवाइयां मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 16 जून 2024 को आयात और बिक्री के लिए स्वीकृति दी थी। इस दवा ने क्लिनिकल परीक्षणों में वजन घटाने के प्रभाव दिखाए हैं। कंपनी के अनुसार, रिसर्च में भाग लेने वाले वयस्कों ने 72 सप्ताह में आहार और व्यायाम के साथ 5 एमजी के डोज पर औसतन 21.8 किलोग्राम और न्यूनतम डोज पर 15.4 किलोग्राम वजन कम किया।
Mounjaro पहले ही अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय बाजारों में लोकप्रिय हो चुका है। CDSCO से स्वीकृति प्राप्त होने के बाद भारतीय मरीजों ने व्यक्तिगत उपयोग के लिए इस दवा को आयात करना शुरू कर दिया था। भारत में 2.5 मिलीग्राम डोज के चार शॉट्स का एक महीने का कोर्स 14,000 रुपये के करीब आता है, जबकि ब्रिटेन में इसका खर्च भारतीय मुद्रा में 23,000 से 25,000 के बीच है।
भारत में लगभग 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। इनमें से लगभग आधे वयस्क मरीजों को अपर्याप्त इलाज मिल रहा है। इसके कारण उनका रक्त शर्करा नियंत्रण अनुकूल नहीं हो पा रहा है। मोटापा 200 से अधिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें उच्च रक्तचाप, डिसलिपिडेमिया, कोरोनरी हार्ट डिजीज और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया शामिल हैं। यह डायबिटीज का एक प्रमुख जोखिम कारक है।
लिली इंडिया के अध्यक्ष और महाप्रबंधक विंसलो टकर ने कहा, “मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज का दोहरा बोझ तेजी से भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन रहा है। लिली सरकार और उद्योग के साथ मिलकर इन रोगों की रोकथाम और प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
विशेषज्ञों ने इस तरह की दवाओं के उपयोग को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी है। दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. निखिल टंडन ने उभरती हुई एंटी-ओबेसिटी दवाओं के बिना डॉक्टर की देखरेख के उपयोग के खिलाफ चेतावनी दी है।
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