भोपाल। मप्र हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर दिए गए फैसले के विरोध में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार शाम को पिछड़े वर्ग के सांसद,विधायक एवं अन्य पदाधिकारियों की बैठक में इसके संकेत दिए हैं। इससे पहले सरकार जून 2016 में हाईकोर्ट द्वारा पदोन्नति में आरक्षण को लेकर दिए गए फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट गई थी। पदोन्नति में आरक्षण का मामला अभी भी कोर्ट में लंबित है। कोर्ट के फैसले के इंतजार में प्रदेश भर में हजारों अधिकारी कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर्ड हो चुके हैं।
सरकारी भर्तियों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने को लेकर मप्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले के विरोध में हाईकोर्ट में विभिन्न याचिकाएं लगाई गई थीं। जिन पर सुनवाई करते हुए मप्र हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि ओबीसी की भर्तियां 14 फीसदी आरक्षण के साथ हो साथ ही 13 फीसदी आरक्षण रिजर्व रखा जाए। हालांकि हाईकोई अगले महीने 10 अगस्त को सुनवाई करेगा। मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई पिछड़े नेताओं की बैठक में हाईकोर्ट ने सरकारी भर्तियों में ओबीसी वर्ग के आरक्षण की सीमा को 14 फीसदी को बरकरार रखे जाने को लेकर चर्चा हुई है। इस मामले में सरकार प्रक्रियागत तरीके से इस ममाले में आगे बढ़ेगी। बैठक में यह तय हुआ कि भाजपा के ओबीसी नेता इस मामले में कांग्रेस सरकार की घेराबंदी करेंगे। तत्कालीन सरकार ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27त्न कर दिया था, लेकिन जब इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई तो सरकार की तरफ से सही तरीके से पक्ष नहीं रखा गया। अब भाजपा सरकार नियमानुसार प्रक्रिया को आगे बढ़ेगी। बैठक से जुड़े सूत्रों के अनुसार सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। हालांकि अगले महीने होने वाली सुनवाई के बाद इस पर फैसला होगा।
सुप्रीम कोर्ट में अटक गया पदोन्नति का मामला
राज्य सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण के मामले में भी कांग्रेस सरकार को घेरा था। सरकार की ओर से हाईकोर्ट में मजबूत तथ्य नहीं रखने पर जून 2016 में हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम 2002 को खारिज कर दिया था। इसके बाद सरकार कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची। अभी तक सुप्रीम कोर्ट में मालमा लंबित है।
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