भोपाल। मध्य प्रदेश के पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मसले पर अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि अध्यादेश खत्म हो गया है और चुनाव रद्द हो गए हैं, इसलिए इस संदर्भ में दाखिल याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब भी चुनाव आयोग पंचायत चुनाव कराए तो वो आरक्षण देने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ट्रिपल टेस्ट का पालन करे। मप्र ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्य भी इसका पालन करें। कोर्ट ने इस आदेश के साथ ही राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका का निराकरण कर दिया है।
राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर जो अध्यादेश लागू किया गया था, उसे वापस ले लिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि 2010 में दिए कृष्णामूर्ति मामले में दिए आदेश के तहत ओबीसी आरक्षण तय किया जाए। गौरतलग है कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को पंचायत चुनावों में ओबीसी के लिए रिजर्व पदों पर चुनाव कराने से रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने पुनर्विचार याचिका लगाई थी। प्रदेश सरकार को देश की सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिलने की उम्मीद थी, इसके लिए उसने तैयारी भी कर रखी थी। हालांकि कोर्ट ने अब इस मामले में चुनाव आयोग को निर्देश देते हुए सुनवाई बंद कर दी है।
क्या है आरक्षण का ट्रिपल टेस्ट
किसी राज्य में आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच के लिए आयोग की स्थापना की जानी चाहिए। इसके बाद आयोग की सिफारिशों के मुताबिक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना जरूरी है। साथ ही किसी भी मामले में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में कुल आरक्षित सीटों का प्रतिशत 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
सरकार ने दायर की थी याचिका
शिवराज सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को बहाल करने की मांग की गई थी। इसके साथ ही संभावना जताई जा रही थी कि शिवराज सरकार पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर लगी रोक हटाने के साथ सुप्रीम कोर्ट में खाली पदों की रिपोर्ट भी रख सकती है। जिससे एक बार फिर से पंचायत चुनाव पर पुन: याचिका को बल मिल सकता है। साथ ही ओबीसी आरक्षण पर बड़ा फैसला हो सकता है। हालांकि अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद विराम लग गया है। इस पर केंद्र सरकार द्वारा भी पंचायत चुनाव के लिए याचिका दायर कर 17 दिसंबर के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। इसमें कहा गया था कि वैकल्पिक रूप से 4 महीने के लिए चुनाव टाले जाएं और 3 महीने के भीतर आयोग से रिपोर्ट तैयार करवाई जाए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 दिसंबर को पंचायत चुनाव में ओबीसी का रिजर्वेशन खत्म करने के निर्देश दिए गए थे। जिसके बाद मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को निरस्त कर दिया गया था। इसके सिवा सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण को फिर से बहाल करने की मांग की जा रही थी।
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