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उज्जैन शहर में कैंसर मरीजों की संख्या 6 हजार से अधिक

May 31, 2024

  • तम्बाकू सेवन तथा धूम्रपान करने से हो रहा है कैंसर
  • जिला अस्पताल की कैंसर यूनिट में ब्रेस्ट, ब्लड, फेफड़ों के अलावा अंदरूनी अंगों के कैंसर के मरीज

उज्जैन। जिला अस्पताल की कैंसर यूनिट में अब महिला और पुरुषों में ब्रेस्ट, ब्लड, फेफड़ों, स्किन, ब्रेन, लिवर, बोन, मुंह और पेट के कैंसर के अलावा अब निजी और अंदरुनी अंगों में भी कैंसर की बीमारी का उपचार कराने मरीज आ रहे हैं। कैंसर यूनिट में कई ऐसी महिला मरीज हैं, जो गर्भाशय और गर्भाशय का मुंह, अंडाशय के अलावा प्राइवेट पार्ट में कैंसर का इलाज करवा रही है, वहीं अनेक ऐसे पुरुष मरीज हैं, जो अपने प्राइवेट पार्ट और अंडकोष में कैसर का इलाज करवा रहे हैं। अधिकांश मरीजों में इसका कारण तंबाकू तथा धूम्रपान का सेवन करना है।


कैंसर यूनिट के प्रभारी डॉ. त्रिपाठी के अनुसार देशभर में हर साल गर्भाशय और इसके मुंह से सम्बंधित कैंसर से पीडि़त लगभग 1 लाख 25 हजार नई महिला मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। लगभग 77 हजार महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा ब्रेस्ट और अन्य कैंसर के मरीजों और इससे मरने वालों के आंकड़े अलग है। इसलिए सरकार को इस बीमारी को रोकने के लिए नि:शुल्क टीकाकरण अनिवार्य कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि महिला हो या पुरुष हर आठवें व्यक्ति में कैंसर बीमारी का खतरा बना हुआ है। तंबाकू का सेवन इसमें मुख्य कारण है।

वैक्सीन बाजार में उपलब्ध लेकिन महंगी
कैंसर का इलाज करने वाले डॉक्टर्स का कहना है यदि 9 साल से लेकर 14 साल की बच्चियों में कैंसर से बचाव करने वाले टीके स्कूल स्तर पर लगाए जाए तो इनमें निजी और अंदरुनी अंगों में होने वाले कैंसर से मुक्ति दिलाई जा सकती। हालांकि इस बीमारी को रोकने वाली 2 कम्पनियों की वैक्सीन बाजार में मौजूद हैं, जिनकी कीमत लगभग 5 सौ से 3000 है। निजी अस्पतालों में इसके 2 अथवा 3 टीके लगाए जाते हैं। 14 साल तक कि उम्र वाली लड़कियों को 2 और 15 से 45 साल तक की उम्र वालों को 3 टीके लगते हैं। बहुत महंगी होने के कारण माता-पिता इसके टीके नहीं लगवाते। इसलिए जरूरी है कि सरकार जल्द से जल्द अन्य टीकों की तरह कैंसर से बचाव वाले टीके लगाने का अभियान शुरू करे।

पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं और बच्चे भी शिकार..
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि तंबाकू तथा इससे बने उत्पादों के सेवन से कैंसर यूनिट में अंदरुनी और निजी अंगों में कैंसर से पीडि़त पुरुषों के अलावा महिला मरीजों की संख्या भी कम नहीं है। इनमें ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त महिला मरीजों की संख्या भी शामिल है। कैंसर यूनिट के अधीक्षक डॉ. त्रिपाठी के अनुसार उनके यहां हर साल 700 से ज्यादा नए और पुरानों को मिलाकर लगभग 6 हजार 800 मरीज इलाज कराने आ चुके हैं। इनमें पुरुष मरीजों और महिला मरीजों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है। शहर में सरकारी के अलावा लगभग 10 निजी अस्पतालों में भी इसका इलाज होता है। इनमें से लगभग 20 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट मतलब स्तन कैंसर से पीडि़त होती हैं। कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर्स का कहना है यह तो सिर्फ एक सरकारी अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या है। शहर के अन्य निजी अस्पतालों में इलाज कराने वालों की इससे क़ई गुना ज्यादा है। इलाज कराने वाले चिन्हित मरीज के अलावा सैंकड़ों ऐसे मरीज भी हैं, जो शर्म के कारण अपना स्वास्थ्य परीक्षण तक करवाने में हिचकिचाते हैं।

तंबाकू और इसके उत्पादन कैंसर के मुख्य कारण..
शहर सहित देश में हर आठवें व्यक्ति को कैंसर की बीमारी का खतरा है। इसका मुख्य और सबसे बड़ा कारण तंबाकू तथा इससे बने उत्पाद का सेवन करना है। 60 प्रतिशत से अधिक मरीज तंबाकू सेवन से कैंसर पीडि़त हो रहे हैं।
डॉ. सीएम त्रिपाठी, प्रभारी कैंसर यूनिट, उज्जैन

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