नई दिल्ली. कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) पूरी दुनिया पर भारी साबित हो रही है. लॉकडाउन, आर्थिक नुकसान और मानसिक थकान से हर कोई परेशान है. क्रिकेट खिलाड़ी भी इससे अछूते नहीं है. उन्हें भी कोरोना के कारण लंबे वक्त तक बायो-बबल में रहना पड़ रहा है. ऐसे में अब उनका भी सब्र टूट रहा है. क्योंकि उन्हें लंबे वक्त तक परिवार से भी दूर रहना पड़ रहा है. टी20 रैंकिंग में दुनिया के नंबर-1 गेंदबाज तबरेज शम्सी (Tabraiz Shamsi) भी लगातार बायो-बबल (Bio-Bubble) में रहने की वजह से परेशान हो गए हैं. वो फिलहाल, दक्षिण अफ्रीका टीम(South Africa Cricket Team) के साथ आयरलैंड दौरे पर हैं.
दक्षिण अफ्रीका के स्पिनर शम्सी ने बायो-बबल को लेकर ट्वीट किया कि मुझे नहीं लगता कि हर कोई सही मायने में इन चीजों का हम पर, हमारे परिवारों और क्रिकेट के बाहर हमारी जिंदगी पर पड़ रहे प्रभाव को सझता है. कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि हम सर्कस के जानवरों की तरह हैं, जिन्हें प्रैक्टिस और मैच खेलने के समय पर ही बाहर ले जाया जाता है. ताकि भीड़ का मनोरंजन हो सके. ये किसी एक खिलाड़ी या टीम का दर्द नहीं है. कोरोना के दौरा में हर खिलाड़ी को इसी तरह के हालात का सामना करना पड़ा रहा है.
छूट के कारण भारतीय क्रिकेटर कोरोना संक्रमित हुए
हाल ही में इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) की बायो-बबल में खिलाड़ियों को ढील देने को लेकर आलोचाना हुई थी. क्योंकि इसी वजह से टीम के तीन खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ के चार सदस्य कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और इंग्लैंड को पाकिस्तान के खिलाफ 18 सदस्यीय नई टीम का ऐलान करना पड़ा था.
ये इंग्लैंड में कोरोना संक्रमण का इकलौता मामला नहीं था. भारतीय टीम मैनेजमेंट ने भी खिलाड़ियों को बीस दिन का ब्रेक दिया था. इसी दौरान विकेटकीपर ऋषभ पंत(Rishabh Pant) औऱ सपोर्ट स्टाफ मेंबर दयानंद घरानी(Dayanand Garani) कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. इसके बाद बीसीसीआई सचिव जय शाह(Jay Shah) ने टीम मैनेजमेंट को चिठ्ठी लिखकर सतर्क रहने को कहा था.
ECB ने खिलाड़ियों को बायो-बबल में छूट देने का फैसला किया
विरोध के बावजूद ईसीबी के मुख्य कार्यकारी टॉम हैरिसन(Tom Harrison) ने हाल ही में कहा था कि बोर्ड ने खिलाड़ियों के कल्याण और उनके मानसिक स्वास्थ्य को देखते हुए बायो-बबल में छूट देने का फैसला किया है. ईएसपीएन क्रिकइंफो के हवाले से हैरिसन ने कहा था कि हम चाहते हैं कि लोग बाहर जाने और जिस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे हैं, उसमें खेलने के बारे में अच्छा महसूस करें. फिर चाहें वो हंड्रेड, भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज या काउंटी क्रिकेट ही क्यों न हो. हम ऐसी जगह खिलाड़ियों को बंद नहीं करना चाहते हैं, जहां उन्हें लगे कि वो अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही भूमिका निभा रहे हैं. उनका काम अपनी टीम के लिए बाहर जाकर बल्लेबाजी या गेंदबाजी करना भर ही है.
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