नई दिल्ली । नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-IM) ने शुक्रवार को नागा (Naga ) राजनीतिक मुद्दे पर गतिरोध दूर करने के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की मांग की। इस दौरान समूह ने सरकार (Government) के साथ अपने 27 साल पुराने युद्धविराम समझौते को तोड़ने और अलग ‘राष्ट्रीय ध्वज और संविधान’ की मांग पूरी नहीं होने पर अपने ‘सशस्त्र संघर्ष’ पर लौटने की धमकी दी।
वहीं, नागा विद्रोही समूह एनएससीएन (आईएम) द्वारा संघर्षविराम समझौते को तोड़ने की धमकी के बाद कांग्रेस ने केंद्र पर निशाना साधा। कांग्रेस ने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में इस समझौते को गेम-चेंजर बताया था और कहा, ‘धोखा दो और राज करो मोदी की पहचान है।’
एनएससीएन-आईएम के महासचिव थुइंगलेंग मुइवा ने एक बयान में दावा किया कि केंद्र ऐतिहासिक समझौते के प्रमुख प्रावधानों, विशेष रूप से ‘नागा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान’ की मान्यता का सम्मान करने से जानबूझकर इनकार कर रहा है। उन्होंने कहा कि एनएससीएन-आईएम नागालिम- अरुणाचल, असम, मणिपुर और नागालैंड के नागा-बसे हुए क्षेत्रों और म्यांमार के कुछ हिस्सों के अद्वितीय इतिहास और ‘संप्रभुता’ की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि फ्रेमवर्क समझौते का पालन करने में केंद्र की विफलता से ‘नए सिरे से हिंसक टकराव’ हो सकता है।
2015 के समझौते की गई थी सराहना
मुइवा ने कहा कि केंद्र और एनएससीएन-आईएम के बीच हस्ताक्षरित 2015 समझौते की नागा मुद्दे को आधिकारिक तौर पर ‘दो संप्रभु संस्थाओं के बीच संघर्ष’ के रूप में मान्यता देने के लिए सराहना की गई थी। उन्होंने कहा, इसमें नागालिम के ‘संप्रभु राष्ट्रीय ध्वज और संविधान’ को भी स्वीकार किया गया है, जो पारंपरिक रुख से एक महत्वपूर्ण बदलाव है कि संघर्ष भारत के लिए एक आंतरिक मामला था।
प्रतिबद्धताओं पर नहीं किया जा सकता समझौता: मुइवा
यह दावा करते हुए कि केंद्र ने नागा ध्वज और संविधान को औपचारिक रूप से मान्यता देने से इनकार करके समझौते की भावना के साथ विश्वासघात किया है, मुइवा ने कहा कि इन प्रतिबद्धताओं पर समझौता नहीं किया जा सकता है और इन्हें भविष्य के किसी भी राजनीतिक समझौते का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा, इन प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने में विफलता से शांति प्रक्रिया ध्वस्त हो जाएगी। उन्होंने गतिरोध में मध्यस्थता के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का भी आह्वान किया और सुझाव दिया कि बाहरी मध्यस्थता आवश्यक हो सकती है।
ब्लफ एंड रूल मोदी की पहचान: जयराम रमेश
दूसरी तरफ, कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘3 अगस्त 2015 को गैर-जैविक पीएम ने दावा किया था कि यह एक गेम-चेंजर है जो पूर्वोत्तर को बदल देगा। 9 साल बाद भी हम अंधेरे में हैं। ब्लफ एंड रूल मोदी की पहचान है।’
केंद्र सरकार ने खारिज की समूह की मांग
वहीं, अधिकारियों ने नई दिल्ली में कहा कि एनएससीएन-आईएम के साथ शांति वार्ता वर्तमान में किसी निष्कर्ष पर नहीं है, क्योंकि समूह एक अलग नागा ध्वज और संविधान पर जोर दे रहा है, जिसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। अगल से, सरकार युद्धविराम समझौते में प्रवेश करने के बाद एनएससीएन के अलग हुए समूहों के साथ शांति वार्ता भी कर रही है।
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