नई दिल्ली: अगस्त 2021 में एयर इंडिया के पास 16,000 से अधिक स्टाफ थे। इनमें से 9617 परमानेंट स्टाफ हैं, जिन्हें ग्रेच्युटी और अन्य बेनिफिट दिया जाना है। एयर इंडिया के शेयर ट्रांसफर एग्रीमेंट के हिसाब से सरकार ने टाटा संस को एयर इंडिया के स्टाफ की ग्रेच्युटी आदि की जिम्मेदारी भी ट्रांसफर कर दी है। इनमें एयर इंडिया के वे स्टाफ भी शामिल हैं जो एयर इंडिया के निजीकरण के बाद रिटायर होने वाले हैं।
भारत सरकार के विभाग दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि एयर इंडिया के विनिवेश के संदर्भ में विनिवेश प्रक्रिया की अंतिम कड़ी में कैबिनेट कमेटी ऑफ इकोनॉमिक्स द्वारा अधिकृत एयर इंडिया स्पेसिफिक अलटरनेट मकैनिजम ने विनिंग बिड पर स्वीकृति प्रदान की है।
PF का नुकसान नहीं
कुछ दिनों पहले ही एयर इंडिया के स्टाफ ने अपनी मांग सरकार के सामने रखी थी। अगस्त के आखिरी हफ्ते में केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक रूप से एयर इंडिया के स्टाफ की यह सभी मांग मान ली थी। एयर इंडिया के स्टाफ को आशंका थी कि एयर इंडिया का निजीकरण किए जाने के बाद उनके प्रोविडेंट फंड या ईपीएफओ जमा रकम निजी कंपनी के ट्रस्ट में चली जाएगी, जिससे उन्हें नुकसान हो सकता है। इसके बाद सरकार ने उन्हें भरोसा दिया था कि एयर इंडिया के मौजूदा स्टाफ के लिए पीएफ की रकम ट्रांसफर करने का टेंपलेट वही होगा जो अन्य पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के निजी करण में अपनाया जाता है।
एक साल बाद VRS का विकल्प
केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव राजीव बंसल ने कहा है कि एयर इंडिया के निजी करण की बोली जीतने वाली टाटा संस को अगले 1 साल तक सभी स्टाफ को रखना पड़ेगा। उसके बाद अगले साल से अगर उन्हें नहीं रखा जाना है तो टाटा संस उनके लिए वीआरएस ऑफर कर सकती है।
सरकार ने दिया था हरसंभव मदद का भरोसा
केंद्र सरकार ने इससे पहले अगस्त में कहा था कि अगर एयर इंडिया के स्टाफ की मांग पूरी करने के लिए उन्हें अतिरिक्त बजट सपोर्ट की व्यवस्था करनी पड़े तो वह यह करने के लिए भी तैयार हैं। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह में अगस्त के दूसरे हफ्ते में मुलाकात की थी और एयर इंडिया के स्टाफ की मांग को मानते हुए 250 करोड़ रुपये की मदद उपलब्ध कराने का भरोसा दिया था।
टाटा संस बेहतर विकल्प
योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने गुरुवार को कहा कि कर्ज में डूबी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए टाटा समूह से बेहतर स्थिति भारत में किसी अन्य कॉरपोरेट घराने की नहीं है।
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