उज्जैन। भले ही प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू मोडिफिकेशन याचिका दाखिल कर दी गई हो, लेकिन राजनीतिक और कानूनी विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव तो होकर ही रहेंगे। इसके बाद दोनों ही दल वेट एवं वॉच की स्थिति में हैं और 17 मई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपने आपको इस वर्ग का सच्चा हितैषी बता रहे हैं। कोर्ट ने जिस तरह से आरक्षण के बिना चुनाव कराने का फैसला सुनाया था, उससे लग रहा था कि अब पंचायत और निकाय चुनावों हो ही जाएंगे, लेकिन गुरूवार की रात सरकार की ओर से स्थानीय निकायवार जानकारी देकर फिर से याचिका पर सुनवाई की अपील सुप्रीम कोर्ट में लगा दी है। 17 मई को इसकी सुनवाई होना है। उसी दिन तय होगा कि पंचायत और निकाय चुनाव कब होंगे, क्योंकि उसी के आधार पर चुनाव आयोग चुनाव कार्यक्रम घोषित करेगा। जानकारों के अनुसार काफी हद तक पुराने फैसले के आसपास ही फैसला आने की उम्मीद है।
ये कहते हैं कानूनविद्
कानूनविदों के अनुसार सरकार की ओर से एक तरह से रिव्यू पिटीशन ही दाखिल की गई है। सरकार की ओर से याचिका में कहा है कि जो रिपोर्ट पेश की गई है, उसके आधार पर एक बार फिर मोडिफाई करने की अपील स्वीकारें। अपील को स्वीकार कर लिया गया है और इस पर जो फैसला होना है, उसको लेकर ही चुनाव संपन्न किए जाएंगे। हालांकि कोर्ट ने जो चुनाव कराने का जो फैसला दिया है वह कायम रहेगा और निर्वाचन आयोग को पंचायत और निकाय चुनाव कराना होंगे। इसमें जरूर तारीख आगे बढ़ सकती है।
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