नई दिल्ली।महान धावक मिल्खा सिंह (Milkha Singh) का शुक्रवार को चंडीगढ़ (Chandigarh) में निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) समेत खेल, राजनीति और फिल्म जगत की तमाम हस्तियों ने उन्हें श्रद्धाजंलि दी। भारतीय सेना (Indian Army) में भर्ती होने के बाद धावक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मिल्खा सिंह (Milkha Singh) का एक ख्वाब अधूरा रह गया। वे दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन कोई भारतीय उनकी इच्छा को पूरा नहीं कर पाया। अब केंद्रीय खेल मंत्री किरन रिजिजू (Union Sports Minister Kiren Rijiju) ने इसे पूरा कर दिखाने की कसम खाई है।
मिल्खा सिंह (Milkha Singh) ने अपनी 80 अंतरराष्ट्रीय दौड़ों में 77 दौड़ें जीतीं लेकिन रोम ओलंपिक का मेडल हाथ से जाने का गम उन्हें जीवन भर रहा। उनकी आखिरी इच्छा थी कि वह अपने जीते जी किसी भारतीय खिलाड़ी के हाथों में ओलंपिक मेडल देखें लेकिन अफसोस उनकी अंतिम इच्छा उनके जीते जी पूरी न हो सकी। हालांकि मिल्खा सिंह की हर उपलब्धि इतिहास में दर्ज रहेगी और वह हमेशा हमारे लिए प्रेरणास्रोत रहेंगे।
खेल मंत्री बोले- वादा करता हूं, आपकी आखिरी इच्छा को पूरा करेंगे
किरन रिजिजू ने ट्विटर पर मिल्खा सिंह का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि वादा करते हैं कि वह मिल्खा सिंह की आखिरी इच्छा को पूरा करेंगे। वीडियो में मिल्खा सिंह ये कहते हुए दिख रहे हैं कि उनकी आखिरी इच्छा है कि जैसे उन्होंने एथलेटिक्स में देश के लिए गोल्ड जीता, वैसे ही कोई देश का नौजवान देश के लिए रोम ओलंपिक में गोल्ड जीते और भारत का झंडा लहराए। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और भारतीय फुटबाल टीम ने भी मिल्खा सिंह के निधन पर शोक जताया। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने लिखा कि उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उनकी जिंदगी अगली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देगी।
मिल्खा सिंह का करिअर
1958 में भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा था
2001 में भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार देने की पेशकश की गई, जिसे मिल्खा सिंह ने ठुकरा दिया था
धावक के तौर पर करिअर
1956: मेलबोर्न में आयोजित ओलंपिक खेलों में 200 और 400 मीटर रेस में भारत का प्रतिनिधित्व किया
1958: कटक में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने 200 और 400 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया।
एशियन खेलों में भी इन दोनों प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक हासिल किया।
वर्ष 1958 में उन्हें एक और महत्वपूर्ण सफलता मिली, जब उन्होंने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। इस प्रकार वह राष्ट्रमंडल खेलों के व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले स्वतंत्र भारत के पहले धावक बन गए।
धावक के बाद का जीवन
सन 1958 के एशियाई खेलों में सफलता के बाद सेना ने मिल्खा को ‘जूनियर कमीशंड ऑफिसर’ के तौर पर पदोन्नति देकर सम्मानित किया गया और बाद में पंजाब सरकार ने उन्हें राज्य के शिक्षा विभाग में ‘खेल निदेशक’ के पद पर नियुक्त किया। इसी पद पर मिल्खा सन 1998 में सेवानिवृत्त हुए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved