इंदौर। शहरभर के 85 वार्डों में बने दो लाख ज्यादा ड्रेनेज चेंबरों (drainage chambers) पर नंबरिंग करने का कार्य स्वच्छ भारत मिशन (Clean India Mission) की टीम एनजीओ और निगम टीमों (NGO and corporation teams) के माध्यम से करा रही है। एक वर्ष से यह कार्य जारी है। अब तक 40 हजार चेंबरों पर नंबर दर्ज कर उन्हें रिकार्ड पर लिया गया है। आने वाले एक साल में यह कार्य पूरा करने का टारगेट रखा गया है।
कई बार नगर निगम की ड्रेनेज विभाग की टीमों को चेंबर ढूंढने के लिए मशक्कत करना पड़ती है और लाइनों को सुधारने के कई दिनों तक खुदाई कार्य करते रहना पड़े हैं। कई बार तो महीनों तक ड्रेनेज चेंबरों को ढूंढने का काम ही चलता रहता है। इसी के चलते नगर निगम ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत ड्रेनेज विभाग और निगम की टीमों की मदद से चेंबरों की नंबरिंग का काम शुरू कराया था, जो अब भी जारी है।
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक कई बार सडक़ निर्माण और अन्य कार्यों के कारण चेंबरों पर मलबा और सीमेंंटीकरण करने के दौरान चेंबर गायब हो जाते हैं। ऐसे में निगम को कई दिनों तक उन्हें ढूंढने की मशक्कत करना पड़ती है। इसी के चलते अब तक 40 हजार चेंबरों की नंबरिंग की जा चुकी है। इनमें मध्य क्षेत्र के इलाकों से लेकर खातीवाला टैंक, गुलजार कालोनी, पलसीकर, भंवरकुआं, अन्नपूर्णा, द्रविड़ नगर, गंगवाल, विंध्याचल नगर क्षेत्र हैं, जहां नंबरिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है।
होलकरकालीन सुरंगनुमा चेंबर भी है शहर में
अधिकारियों का कहना है कि इंदौर में होलकरकालीन चेंबर भी बने हैं, जो कई बार सुरंगनुमा नजर आते हैं। यशवंत रोड से लेकर कलेक्टोरेट क्षेत्र में ऐसे कई ड्रेनेज चेंबर हैं। कुछ दिनों पहले कलेक्टोरेट, रजिस्ट्रार ऑफिस (Collectorate, Registrar Office) के समीप जमीन धंसने के बाद अचानक बड़ा गड्ढ़ा हो गया था और लोग वहां सुरंग समझकर जमा हो गए थे। जब निगम की टीमें फायर ब्रिगेड की टीमों के साथ पहुंचीं तो पता चला कि वह वर्षों पुराने चेंबर हैं। अब चेंबरों की नंबरिंग से चेंबर ढूंढने में मशक्कत नहीं करना पड़ेगी और वहां नंबर के आधार पर टीमें पहुंचकर कार्य शुरू कर देंगी।
रिकार्ड होगा तैयार, किस वार्ड में कितने चेंबर
अधिकारियों का कहना है कि ड्रेनेज चेंबरों की नंबरिंग को नक्शों पर दर्ज करने के साथ-साथ रिकार्ड में रखा जाएगा, ताकि पता लग सके कि किस वार्ड में कितने चेंबर हैं और वहां किस प्रकार की लाइनें बिछी हैं। इससे लाइनें चोक होने के दौरान आने वाले परेशानियों से न केवल निपटा जा सकेगा, बल्कि पूरे शहर के ड्रेनेज चेंबरों का भी रिकार्ड तैयार हो जाएगा।
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