भोपाल। जनपद और जिला पंचायत के बाद अब भाजपा और कांग्रेस नगर पालिका एवं नगर परिषद के अध्यक्षों के चुनाव में जोर-आजमाइश की तैयारी में जुट गई हैं। भाजपा ने जहां अपने विधायक और पदाधिकारियों को मैदान में उतार दिया है, तो कांग्रेस भी पीछे नहीं है। पार्टी ने प्रदेश और जिले के पदाधिकारियों और नेताओं को अपनी परिषद बनाने की जिम्मेदारी सौंप दी है। 15 अगस्त से पहले सभी 76 नगर पालिकाओं और 255 नगर परिषदों में अध्यक्ष चुने जाने हैं। प्रदेश की 143 जनपद और 51 जिला पंचायतों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया हाल ही में पूर्ण हुई है। इनमें भाजपा और कांग्रेस ने अपने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष चुनने केलिए पूरा जोर लगा दिया। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला और प्रदर्शन भी हुए। अब नगर सरकार बनाने की बारी है। इसमें दोनों ही पार्टी पीछे नहीं रहना चाहती हैं। दरअसल, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की दृष्टि से शहरों में भाजपा और कांग्रेस अपना वर्चस्व कायम करना चाहती हैं। भाजपा ने अपनी परिषद बनाने की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर नेताओं को सौंपी है।
विधायकों की भी जिम्मेदारी तय की गई है। वे जिला और जनपद पंचायत की तरह परिषद गठन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका में रहेंगे। पार्टी के विधायक और नेताओं ने स्थानीय स्तर पर रणनीति बनाना शुरू भी कर दिया है। पार्षदों से मेल-मुलाकात का दौर शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव पहली बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए गए हैं। इनमें पार्षदों के माध्यम से अध्यक्ष चुने जाएंगे।
कांग्रेस भी पूरी ताकत झोंकेगी
जनपद और जिला पंचायत के बाद कांग्रेस नगर पालिका और नगर परिषद के गठन में भी पूरी ताकत झोंकेगी। पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों को क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंप दी गई है। वे स्थानीय नेताओं को साथ लेकर पार्षदों से संपर्क करेंगे और अपनी परिषद बनाने की कोशिश करेंगे। जिन पार्षदों का झुकाव दूसरे दलों की ओर है, उन्हें भी संभालेंगे। नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अन्य नेता मुख्य भूमिका में रहेंगे।
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