भोपाल। मध्य प्रदेश को जब से टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है यहां बाघों के संरक्षण के लिए लगातार काम किया जा रहा है। मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या 526 है। इनका संरक्षण चुनौती बना हुआ है। आमतौर पर एक बाघ की टेरिट्री करीब 20 किमी की होती है लेकिन जब बाघों की संख्या बढ़ती है तब यह टेरिट्री छोटी हो जाती है और शिकार की संभावनाएं कम हो जाती है। इससे बाघों के बीच संघर्ष होने लगता है। इससे बाघ कोर एरिया से बफर जोन में आ जाते हैं और भोजन व पानी की तलाश में कभी-कभी रिहायशी इलाके में आकर मुनष्यों पर हमला कर देते हैं। इस तरह की घटनाएं संजय टाइगर रिजर्व पार्क में घटी हैं। इसका निवारण करने के लिए वन विभाग बाघों के लिए प्राकृतिक रहवास जैसा बाड़ा बना रहा है। इसमें जंगल से भटके बाघों को रखा जाएगा। जब उनके स्वाभाव में सुधार आ जाएगा तब इन्हें वापस कोर एरिया में छोड़ दिया जाएगा। कुसमी रेंज के माच महुआ गांव में करीब 2 हेक्टेयर से अधिक जंगल में प्राकृतिक बाड़ा बनाया जा रहा है जिसे बनने में करीब 15 दिन का समय लग सकता है। बाड़े की ऊंचाई करीब 20 फीट की है। चारों ओर घने जंगल वाले मैदानी एरिया में लंबी घास, बांस के पेड़ लगे हुए हैैं। पानी के लिए नेचुरल तालाब से जोड़कर छोटा-छोटा टैंक बनाया जाएगा ताकि बाघों को पीने का पानी मिल सके।
क्यों आवश्यकता पड़ी
संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में करीब डेढ़ माह के अंदर एक महिला और एक बच्चे की बाघ के हमले से मौत हो चुकी है। इसके पहले संजय टाइगर रिजर्व में दो बाघों के बीच वर्चस्व की लड़ाई में एक बाघ की मौत भी हो चुकी है। वन क्षेत्र चुरहट के जमदाहा जंगल में एक बाघ का शव गतदिनों मिला। यह शव करीब एक सप्ताह पहले का बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि यह बाघ भटकते हुए इस जंगल में पहुंचा था। माना जा रहा है कि इन घटनाओं से बचने के लिए इस तरह के बाघों को बाड़े में करीब 6 माह से अधिक रखा जाएगा।
अभी बांधवगढ़ भेजे जाते हैं
जब बाघ लोगों पर हमला करने लगते हैं ऐसे में उन्हें 161 किमी दूर बांधवगढ़ सड़क मार्ग से भेजा जाता है। यदि आने वाले दिनों में ऐसी कोई घटनाएं होती हैं तो उन्हें संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने बाड़े में रखकर कुछ महीनों बाद खुले जंगल में छोड़ा जा सकेगा। हाल में ही दो घटनाओं के बाद एक सप्ताह पहले दो बाघों को बांधवगढ़ छोड़ा गया है।
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