छतरपुर: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) द्वारा क्षत्रीय समाज को लेकर दिए गए बयानों के बाद उनकी परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. देश भर में हैह्यवंशी समाज पंडित शास्त्री के खिलाफ धरना-प्रदर्शन और पुतला दहन कर रहा है जबकि अब क्षत्रिय समाज के लोगों ने भी थाने में ज्ञापन सौंपा है.
क्षत्रिय समाज के लोग राजधानी भोपाल के हबीबगंज थाने पहुंचे. उन्होंने थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. पंडित शास्त्री ने क्षत्रिय और ब्राह्मणों के बीच अराजकता फैलने और समाज को बदनाम करने का काम किया है. एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है.
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि यहां पर बहुत से बुद्धि और तर्क के लोग ब्राह्मण और क्षत्रिय को आपस में टकराने के उपाय करते रहते हैं. बात मजाक और हंसी की यह है कि अगर 21 बार क्षत्रियों को मारा तो जब एक बार ही क्षत्रियों को मार दिया तो 20 बार क्षत्रिय कहां से आए, एक बार में ही सभी क्षत्रियों से पृथ्वी से विहिन हो गई तो 20 बार क्षत्रिय कहां से आए, 21वीं बार की जरूरत क्यों पड़ी?
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, ‘ सहस्त्रबाहू जिस वंश से था, उस वंश का नाम था हैहय वंश, हैहय वंश के विनाश के लिए भगवान परशुराम ने परसा अपने हाथ में उठाया. हैहयवंश का राजा बड़ा ही कुकर्मी, साधुओं पर अत्याचार करने वाला था. ऐसे आताताइयों के खिलाफ भगवान परशुराम ने परसा उठाया और शास्त्र में कहा गया है कि साधु का काम ही है कि दुष्टों को ठिकाने लगाते रहना और उन्होंने हैहय वंश के राजाओं को मारना प्रारंभ किया, लेकिन शास्त्र की मर्यादाओं का पालन करते हुए कभी भी न तो स्त्रियों पर अपना परसा उठाया, न ही बालकों पर अपना परसा उठाया, न बालिकाओं पर अपना परसा उठाया.’
पंडित शास्त्री ने कथावाचन के दौरान आगे बताया, ‘जब एक बार आताताई राजाओं को मार दिया फिर उनके बच्चों को हाथ नहीं लगाया, और जब वह बच्चे युवा हुए और उन्होंने भी अत्याचार प्रारंभ किया और उन्होंने भी अपने पिता का बदला लेने के लिए भगवान परशुराम पर आक्रमण किया तो फिर भगवान परशुराम ने उन आताताइयों का वध किया, फिर उनकी संतान हुई फिर उनका वध किया. ऐसे क्रम में 21 बार पृथ्वी को क्षत्रीय विहिन किया.’ इस बयान के बाद हैहयवंशी ताम्रकार, कलाल समाज द्वारा आक्रोश जताया जा रहा था. अब इस विरोध की श्रंखला में क्षत्रिय समाज भी शामिल हो गया है. क्षत्रिय-राजपूत समाज ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है.
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