- पिछले महीने मकर संक्रांति और शनिश्चरी अमावस्या पर छोड़ा गया था नर्मदा का पानी -बड़े नाले साफ नहीं रहने देते
उज्जैन। पिछले महीने में दो बार पर्व स्नान के लिए शिप्रा में नर्मदा का साफ पानी छोड़ा जा चुका है। बावजूद इसके कल होने जा रहे माघी पूर्णिमा के स्नान के पहले नदी का पूरा पानी नालों के कारण काला पड़ चुका है। अभी यह समस्या आ रही है और गर्मी में पूरी शिप्रा को जलकुंभी घेर लेगी। मंगलनाथ क्षेत्र में अभी से जलकुंभी का जमना शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि शिप्रा नदी में हर साल बारिश निपटते ही जलकुंभी का जमावड़ा शुरू हो जाता है। सितंबर माह में बारिश का काल पूरा होता है और अक्टूबर-नवंबर माह से ही बड़े पुल के आगे चक्रतीर्थ से होते हुए ऋणमुक्तेश्वर घाट तक गंदगी और जलकुंभी जमा होने लग जाती है। उधर गंगाघाट के आगे से लेकर मंगलनाथ घाट तक नदी का तल जलकुंभी से पटा नजर आता है। यह एरिया ऐसा है जो अक्टूबर से लेकर जून-जुलाई तक लगभग 9 महीने जलकुंभी के साम्राज्य से ढंका हुआ रहता है। हालात यह है कि मंगलनाथ क्षेत्र में श्रद्धालु स्नान तो दूर आचमन तक नहीं कर पाते हैं।
मंगलनाथ से होकर आगे तक शिप्रा में जलकुंभी ही जमी रहती है। इधर रामघाट क्षेत्र से लेकर छोटे पुल तक पूरे साल शिप्रा में सफाई होती रहती है परंतु बड़े पुल से लेकर मंगलनाथ घाट तक कहीं भी पूरे साल जलकुंभी हटाने या शिप्रा में जमी गंदगी साफ करने का अभियान नगर निगम नहीं चलाता। रामघाट से लेकर छोटे पुल तक नदी की सफाई के लिए नगर निगम ने स्थाई और अस्थाई रूप से रखे गए लगभग 50 से ज्यादा सफाईकर्मियों की ड्यूटी लगा रखी है। हैरत की बात है कि स्नान पर्वों के दौरान भी चक्रतीर्थ क्षेत्र और मंगलनाथ क्षेत्र में शिप्रा को साफ नहीं रखा जाता। दूसरी ओर शिप्रा में अभी भी 13 बड़े नाले लगातार मिल रहे हैं। रही सही गंदगी की कसर यह पूरी करते रहते हंै। त्रिवेणी पर कान्ह नदी का पानी मिलता रहता है। इधर पिछले महीने ही 15 जनवरी को मकर संक्रांति तथा इसके बाद शनिश्चरी अमावस्या को भी नर्मदा का पानी पाईप लाईन के जरिए शिप्रा में छोड़ा गया था। बावजूद इसके कल होने जा रहे माघी पूर्णिमा के स्नान से पहले त्रिवेणी से लेकर रामघाट तक शिप्रा का पानी नालों के कारण काला और दूषित हो चुका है। शिप्रा में 100 करोड़ की कान्ह डायवर्शन योजना के बावजूद 13 बड़े नाले शिप्रा का पानी साफ नहीं रहने दे रहे।