भोपाल। मुरैना के सुमावली से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा, टीकमगढ़ जिले के खरगापुर से भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी और अशोक नगर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी के बाद प्रदेश के एक और विधायक देवीलाल धाकड़ की विधायकी खतरे में पड़ती दिख रही है। सुभाष कुमार सोजतिया द्वारा गरोठ-भानपुरा विधानसभा के विधायक देवीलाल धाकड़ के चुनाव को रद्द करने के लिए चुनाव याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई है। देवीलाल धाकड़ द्वारा चुनावी हलफनामे में अपनी आय और सरकारी देय छुपाने एवं चुनाव में धर्म के आधार पर वोट मांगे गए हैं जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है। इन आधारों पर देवीलाल धाकड़ का चुनाव निरस्त करने के लिए सोजतिया ने याचिका लगाई गई है। उच्च न्यायालय द्वारा चुनावी सभा की सीडी के समर्थन में दिए गए सर्टिफिकेट को लेने से इंकार किया गया था और याचिककर्ता को नया सर्टिफिकेट लाने का आदेश पारित किया था। इस आदेश के विरुद्ध सुभाष कुमार सोजतिया द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रविन्द्र सिंह छाबड़ा और अधिवक्ता मुदित माहेश्वरी के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की गई थी। जिसमें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तहसीलदार गरोठ को नए सर्टिफिकेट उपलब्ध कराने का आदेश दिया, साथ ही उच्च न्यायालय को चुनाव याचिका का जल्द निराकरण करने हेतु आदेशित किया है।
तीन एमएलए रहेंगे सत्र से बाहर
उधर, अजब सिंह कुशवाहा, राहुल सिंह लोधी के बाद विधानसभा सचिवालय ने जजपाल सिंह जज्जी के सारे अधिकार छीन लिए हैं। जज्जी को नोटिस जारी कर बतौर विधायक उनके अधिकारों को निलंबित करते हुए स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन दिन में जवाब तलब किया है। नोटिस में उनसे पूछा गया है कि न्यायालय ने जाति प्रमाण पत्र के संबंध में जो आदेश पारित किया है, उसको लेकर स्थिति स्पष्ट करें। तीन दिन में जज्जी अपने पक्ष से अवगत नहीं कराते हैं तो आगामी कार्यवाही की जाएगी। यदि तीन प्रकरणों में 19 दिसंबर के पूर्व न्यायालय के आदेश पर उच्च न्यायालय द्वारा कोई स्थगन प्राप्त नहीं होता है तो शीतकालीन सत्र में भी ये भाग नहीं ले पाएंगे।
राज्यपाल लेंगे निर्णय
सचिवालय के अधिकारियों का कहना है कि जज्जी की सदस्यता समाप्त करने के लिए राज्यपाल मंगूभाई पटेल से अभिमत लिया जाएगा। यह जाति प्रमाण पत्र से जुड़ा हुआ है। जबकि, अजब सिंह कुशवाहा और राहुल सिंह लोधी के प्रकरण में कार्यवाही विधानसभा को करनी है क्योंकि कुशवाहा को दो वर्ष की सजा सुनाई गई है औैर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में इसको लेकर स्पष्ट प्रविधान है। इसी तरह राहुल सिंह लोधी के निर्वाचन को न्यायालय ने शून्य घोषित कर दिया है।
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