नई दिल्ली: हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र यानी सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने की तैयारी हो गई है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसके लिए एक प्रस्ताव पास किया है और संविधान में संशोधन की मांग की है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सभी राज्यों के बार कॉउंसिल्स ने संयुक्त बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास कर कहा है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने के लिए तत्काल संविधान संशोधन किया जाए.
दरअसल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) पिछले हफ्ते हुई एक संयुक्त बैठक में सर्वसम्मति से इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए. बयान में कहा गया है कि संविधान में तत्काल संशोधन होना चाहिए और हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष की जानी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाकर 67 वर्ष किया जाना चाहिए.
बयान में कहा गया है कि इस प्रस्ताव की एक कॉपी देश के प्रधानमंत्री और केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री को इस प्रस्ताव पर तुरंत एक्शन लेने केलिए भेजी जाएगी. इसके अलावा संयुक्त बैठक में विभिन्न कानूनों में संशोधन पर विचार करने के लिए संसद को प्रस्ताव देने का भी संकप्ल किया गया ताकि अनुभवी अधिवक्ताओं को भी विभिन्न आयोगों और अन्य मंचों के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सके.
पिछले सप्ताह सभी राज्य बार काउंसिलों, हाईकोर्ट बार एसोसिएशनों और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के जजों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बैठक हुई थी. इसी बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया. बता दें कि इसी साल संसद के मॉनसून सत्र में जजों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चा पर केंद्र सरकार ने विराम लगा दिया था और कहा था कि उसके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
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