रांची: झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गयी है. पूर्व सीएम चंपाई सोरेन जेएमएम से पांच दशकों का पुराना नाता तोड़ने वाले हैं. चंपाई सोरेन 30 अगस्त को बीजेपी में शामिल हो जाएंगे. लेकिन, इससे पहले चंपाई सोरेन से जुड़ी इस हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल स्टोरी के फ्लैश बैक में चलते हैं. दरअसल चंपाई सोरेन ने ऐसा नहीं है कि बीजेपी में शामिल होने का फैसला अचानक से ले लिया है. बताया जाता है कि चंपाई सोरेन के जेएमएम को छोड़ने की स्क्रिप्ट लोकसभा चुनाव के समय से ही तैयार हो रही थी. सूत्रों के अनुसार चंपाई सोरेन ने मुख्यतः 3 वजहों से जेएमएम छोड़ने का निर्णय लिया है.
जेएमएम छोड़ाने की पहली वजह तो सरायकेला के बीजेपी नेता रमेश हांसदा ने ही बता दी है. उन्होंने कल ही बड़ा बयान देते हुए कहा था कि चंपाई सोरेन हार के डर से बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. दरअसल पिछले कुछ चुनाव के आंकड़ों को देखें तो साफ हो जाता है कि चंपाई सोरेन के लिए सरायकेला सीट जीतना आसान नहीं रहा है. उन्हें बीजेपी उम्मीदवार को हराने में काफी पसीना बहाना पड़ा.
दूसरी वजह मानी जा रही है कि कोल्हान क्षेत्र में चंपाई सोरेन के सामने जोबा मांझी का कद धीरे-धीरे बढ़ रहा है. संथाल समुदाय से ही आने वाली नेता जोबा माझी का सांसद बनना और धीरे-धीरे उनका कद बढ़ना चंपाई सोरेन की नाराजगी की एक बड़ी वजह मानी जा रही है. बताया जाता है कि चंपाई सोरेन सिंहभूम लोकसभा सीट से सुखराम उरांव को उम्मीदवार बनाना चाहते थे. वहीं चंपाई सोरेन की नाराजगी की तीसरी और सबसे बड़ी वजह हेमंत सोरेन द्वारा उन्हें सीएम पद से हटाना है.
सूत्र बताते हैं कि चंपाई सोरेन की वजह से कोल्हान क्षेत्र में संथाल समुदाय से आने वाला कोई भी आदिवासी नेता जेएमएम में आगे नहीं बढ़ पाया. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद संथाल आदिवासी जोबा मांझी का कद धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हुआ था,जिससे चंपाई की नाराजगी बढ़ती गई. हेमंत सोरेन ने लोकसभा चुनाव में सुखराम उराँव के बजाय आखिरी दिनों में जोबा मांझी को उम्मीदवार बनाया. जोबा चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच गईं. वह हेमंत और कल्पना सोरेन का भरोसा जीत कर काफी करीब आ गईं.
इधर नाराज चल रहे चंपाई सोरेन सीएम पद से हटाए जाने के बाद बागी तेवर अख्तियार कर लिया. सूत्रों का कहना है कि हेमंत सोरेन चंपाई सोरेन से पहले जोबा मांझी को ही सीएम पद देना चाहते थे. लेकिन, उन्होंने शिबू सोरेन के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता चंपाई पर अपना भरोसा दिखाया. अब चंपाई के बीजेपी में शामिल होने के पहले बीजेपी नेताओं को इस बात की चिंता सता रही है कि विधान सभा चुनाव में चंपाई कोल्हान क्षेत्र से अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा चुनावी मैदान में उतारने की कोशिश करेंगे.
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