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    अब हजार रुपए की पॉवर ऑफ अटार्नी से बेची जा सकेगी रेशो डील की प्रॉपर्टी

  • July 09, 2023

    • बड़ी राहत… अभी 5 फीसदी देना पड़ती है स्टाम्प ड्यूटी, रेरा की आपत्ति के चलते परेशान थे बिल्डर-कालोनाइजर, थर्ड पार्टी एग्रीमेंट भी करवाने की थी मजबूरी

    उज्जैन। शासन ने रियल इस्टेट कारोबारियों को एक राहत दी है। खासकर रेशो डील करने वाले बिल्डर और कालोनाइजरों को इससे बड़ी मदद मिलेगी और वे रेशो डील के आधार पर अपने हिस्से की प्रॉपर्टी एक हजार रुपए की पॉवर ऑफ अटार्नी के आधार पर बेच सकेंगे। ये पॉवर ऑफ अटार्नी जमीन मालिक के साथ रेशो डील के वक्त ही तैयार हो जाएगी, ताकि बाद में किसी तरह का विवाद होने पर परेशानी ना हो। दरअसल रेरा ने इस मामले में भी आपत्ति ली थी और बिल्डर को रेशो डील के आधार पर प्रोजेक्ट को डेवलप करने की तो पात्रता बताई, मगर बेचने की नहीं। इसके चलते अभी रजिस्ट्री करवाते वक्त हर बार जमीन मालिक की सहमति लेना पड़ती है और तीन लोगों के बीच एग्रीमेंट भी बनते हैं। पहला जमीन मालिक, दूसरा डेवलपर, तीसरा खरीददार। मगर अब इस प्रक्रिया से मुक्ति मिल जाएगी।
    वाणिज्यिक कर विभाग के उपसचिव आरपी श्रीवास्तव ने अभी गजट नोटिफिकेशन के जरिए उक्त प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिए हैं। 5 जुलाई को ये गजट नोटिफिकेशन हुआ है, जिसके आधार पर अब रेशो डील में विक्रय के अधिकार बिल्डर या कालोनाइजर को मात्र एक हजार रुपए की पॉवर ऑफ अटार्नी के जरिए हासिल हो जाएंगे। दरअसल जमीनों की कीमतें बढऩे के कारण अब अधिकांश प्रोजेक्ट रेशो डील के साथ ही होते हैं, जिसमें चाहे टाउनशिप हो या बहुमंजिला इमारत अथवा अन्य कोई व्यवसायिक प्रोजेक्ट हो। बिल्डर या कालोनाइजर अगर जमीन खरीदकर प्रोजेक्ट करता है तो उसे काफी महंगा पड़ता है। उसकी बजाय जमीन मालिक के साथ रेशो डील दोनों के लिए फायदेमंद रहती है। इससे जमीन मालिक को भी उस प्रोजेक्ट में जहां पार्टनरशिप मिल जाती है, वहीं वह अपने हिस्से के भूखंड, फ्लेट या अन्य प्रॉपर्टी को बेच सकता है। अलग-अलग क्षेत्र में यह रेशो डील अलग-अलग प्रतिशत के आधार पर होती है। यानी जमीन की कीमत अगर ज्यादा है तो उसके मालिक को ज्यादा प्रतिशत तैयार प्रॉपर्टी मिलती है। अभी रेशो डील में अगर कोई प्रोजेक्ट किया जाता है तो प्रॉपर्टी के मूल्य यानी गाइडलाइन के आधार पर 5 प्रतिशत ड्यूटी भी चुकाना पड़ती है। मगर अब हजार रुपए की पॉवर ऑफ अटार्नी से ही बिल्डर या कालोनाइजर को प्रॉपर्टी बेचने के अधिकार मिल जाएंगे। दरअसल इस पर भी पिछले दिनों रेरा ने आपत्ति ली थी, जिसके चलते कई प्रोजेक्ट अधर में पड़े, तो बिल्डरों को परेशानी भी हो रही थी। मगर अब इस नोटिफिकेशन के बाद यह एक बड़ी समस्या खत्म हो गई है। क्रेडाई के पदाधिकारियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। क्रेडाई से जुड़े अतुल झंवर और संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि इसके लिए लगातार क्रेडाई प्रयासरत रहा और अब नोटिफिकेशन जारी हो गया।


    रेरा ने बिल्डर को डेवलपर माना, सेलर अथॉरिटी नहीं
    रेरा द्वारा कई ऊटपटांग व्याख्याएं कर दी जाती हैं, जिसका खामियाजा रियल इस्टेट कारोबारियों को लगातार भुगतना पड़ रहा है। इस मामले में भी रेरा ने यह आपत्ति ली थी कि रेशो डील तो मान्य की जा सकती है, मगर जो डेवलपर है उसे तैयार प्रॉपर्टी को बेचने के अधिकार नहीं हैं। ये अधिकार सिर्फ जमीन मालिक के पास ही होना चाहिए, जबकि यह सामान्य बुद्धि की बात है कि रेशो डील में यह स्पष्टता रहती है कि कितने प्रतिशत प्रॉपर्टी जमीन मालिक की रहेगी और कितने प्रतिशत डेवलपर के हिस्से में आएगी। यानी दोनों अपना-अपना हिस्सा बेचने के लिए स्वतंत्र रहेंगे। मगर रेरा ने इसमें भी अड़ंगा डाला, जिसके चलते ये नोटिफिकेशन करवाना पड़ा।

    बिल्डर अब सीधे खरीददार को बेच सकेंगे प्रॉपर्टी
    अभी रेशो डील के आधार पर जमीन मालिक और उस पर प्रोजेक्ट को अमल में लाने वाले बिल्डर या कालोनाइजर को अपने हिस्से की प्रॉपर्टी बेचने के लिए बार-बार जमीन मालिक की सहमति लेना पड़ती थी। मगर अब इस नोटिफिकेशन के बाद इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। जिस वक्त रेशो डील की जाएगी उसी के साथ ये पॉवर ऑफ अटार्नी भी बिल्डर या कालोनाइजर जमीन मालिक से हासिल कर लेगा, ताकि उसके आधार पर अपने हिस्से के प्रोजेक्ट के फ्लैट, दुकान, भूखंड या अन्य प्रॉपर्टी को वह सीधे खरीददार को बेच सकेगा।

    रेरा रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता से अब तक नहीं मिल पा रहा है छूट का लाभ
    अग्निबाण ने पिछले दिनों सिरफिरे अफसर, जिन्होंने रेशो डील एग्रीमेंट की स्टाम्प ड्यूटी तो घटाई, मगर ऊलजुलूल शर्तें भी लगाईं। समाचार का प्रकाशन भी किया था, जिसमें रेशो डील वाले रजिस्ट्रेशन में स्टाम्प ड्यूटी में छूट तो दी, मगर दूसरी तरफ रेरा रजिस्ट्रेशन का फच्चर फंसा दिया, जबकि हकीकत यह है कि रेरा में सिर्फ प्रोजेक्ट और ब्रोकर का ही रजिस्ट्रेशन होता है। बिल्डर या डेवलपर के रजिस्ट्रेशन का कोई प्रावधान ही नहीं है। बावजूद इसके अभी तक रेरा की इस त्रुटि को पंजीयन विभाग ने भी नहीं सुधरवाया।

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