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    अब शहर के थाने होंगे कैमरे के राडार पर, 550 कैमरे मिले इंदौर पुलिस को

  • June 11, 2022

    अब पुलिस की ज्यादतियों और कामचोरी से लेकर दादागिरी पर लगेगी लगाम…

    जबरन किसी को नहीं बैठा सकेंगे थाने में, थाने में होने वाली वसूली पर भी लगेगी लगाम

    इन्दौर, मेघश्याम आगाशे। पुलिस (Police) की मार-पिटाई से थाने में होने वाली मौत (Death) के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए अब शहर के सभी थानों को कैमरे (Camera) की जद में लाया जा रहा है। हर थाने में एक दर्जन कैमरे लगाए जाएंगे। मुख्यालय से इंदौर पुलिस को 550 कैमरे मिले हैं। ये एक-दो दिन में लगना शुरू हो जाएंगे। अब तक थाने में दिखावे के लिए दो-तीन कैमरे लगे हैं, लेकिन ये या तो घटना होने पर बंद होते हैं या इनसे पूरा थाना कवर नहीं होता। 

    अपराधों पर नियंत्रण के लिए शहर में छह माह पहले पुलिस कमिश्नरी लागू की गईथी। बल देने के साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं। पुलिस की छवि पर धब्बा न लगे, इसके लिए भी तैयारियां की जा रही हैं। बताते हैं कि शहर के 32 और देहात के 13 थानों को पूरी तरह कैमरे की जद में लाया जा रहा है। इसके लिए पुलिस मुख्यालय से इंदौर पुलिस को कल 550 कैमरे मिले हैं, जो एक-दो दिन में थानों में लगना शुरू हो जाएंगे।


    हर थाने में 12 से 13 कैमरे लगेंगे

    डीसीपी इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी रजत सकलेचा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने थाने में मारपीट से होने वाली मौत और वसूली रोकने के लिए थानों को पूरी तरह कैमरे की जद में लाने के आदेश दिए हैं। इसके चलते शहर के 32 और देहात के 13 थानों का सर्वे किया गया है। इसके तहत हर थाने के हिसाब से 12 से 13 कैमरे लगाए जाएंगे। इस पर कंट्रोल रूम की निगाह रहेगी। थाने में आने-जाने के रास्ते, लॉकअप, टीआई का कक्ष, टॉयलेट के रास्ते, थाना परिसर सहित हर ऐसा स्थान, जहां गड़बड़ हो सकती है, कैमरे की जद में होगा। सुनिश्चित किया जाएगा कि थाना 100 प्रतिशत कैमरे की कैद में रहे।

    कुछ थानों में लगे हैं दो से तीन कैमरे 

    शहर में हर साल थाने में पुलिस की पिटाई से एक से दो घटनाएं समाने आती हैं, लेकिन हर बार कैमरा बंद मिलता है, क्योंकि थाने में अभी एक या दो कैमरे लगे हैं। अब इसका पूरा रिकॉर्ड कंट्रोल रूम में रहेगा। इससे थाने में होने वाली वसूली भी बंद हो सकेगी।

    9 माह की रिकार्डिंग रखनी होगी थाने को

    डीसीपी सकलेचा ने बताया कि फिलहाल कैमरे लगने के बाद थानों को इसकी नौ माह की रिकार्डिंग रखनी होगी और इन्टीलिजेंस विंग को देनी होगी। बाद में इसे सीधे कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा और वहीं से कैमरों में दिखने वाली हलचलों पर निगरानी की जाएगी। यदि इस दौरान कोई गड़बड़ होती है तो अधिकारी सीधे मातहतों पर कार्रवाई कर सकेंगे। कैमरे लगने से पुलिसकर्मी भी सतर्क नजर आएंगे।

    अपराधियों को पकडऩे के लिए भी अब पुलिस कैमरों पर निर्भर…  शहर में भी बिछाएंगे जाल

    शहर में अपराधियों को पकडऩे के लिए अब पुलिस भी सीसीटीवी कैमरे पर निर्भर हो गई है।  किसी भी घटना के बाद दुकानों और प्रतिष्ठानों पर लगे कैमरे पुलिस तलाशती फिरती है। कई जगह कैमरे न होने के कारण पुलिस को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, इसलिए अपराधों पर नियंत्रण के लिए भी पुलिस शहर में कैमरों का जाल बिछाएगी। कुछ स्थानों पर पुलिस कैमरे लगा रही है तो कुछ स्थानों पर जनसहयोग से लगाए जाएंगे। फिलहाल तो लोगों द्वारा लगाए गए कैमरों का फायदा पुलिस को मिल रहा है। कई बड़ी वारदातों को कैमरे के फुटेज की मदद से सुलझाने में सफलता मिलती है।

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