इंदौर। यदि आपको तेज बुखार के साथ लगातार सिरदर्द (Headache) और बार-बार उल्टी हो रही हैं तो इसे जरा भी हलके में न लें, क्योंकि यह लक्षण दिमागी बुखार (brain fever) के हैं। इन दिनों डेंगू Dengue) और दिमागी बुखार पैर पसार रहा है। ऐसा न हो कि प्रशासन कोरोना की तीसरी संभावित लहर की तैयारी में लगा रहे और मौसमी बीमारी के प्रति लापरवाही के कारण लोग डेंगू, मलेरिया, दिमागी बुखार की चपेट में आ जाएं।
डॉक्टरों का कहना है कि इसके कुछ प्राथमिक लक्षण होते हैं, जिन्हें शुरू में ही गंभीरता से ले लिया जाए और समय पर डॉक्टर से परामर्श कर लिया जाए तो स्थिति पर नियंत्रण हो सकता है। यदि यह दिमागी बुखार बिगड़ जाए तो जान जाने का भी खतरा रहता है। कोविड का खतरा अभी टला नहीं है, लेकिन वायरल डिसीज ने परेशान करना शुरू कर दिया है। शहर के अस्पताल में आने वाला हर चौथा मरीज वायरल फीवर का शिकार है। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग सभी का फोकस कोविड की तीसरी संभावित लहर आने से पहले सभी इंतजाम पूरे करने पर है, पर दबे पांव डेंगू, मलेरिया और दिमागी बुखार के मामले दस्तक दे रहे हैं। यह स्थिति गंभीर है।
दो प्रकार का होता है दिमागी बुखार
किसी भी व्यक्ति को बुखार आता है तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए। दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) दो प्रकार का होता है। प्राथमिक (प्राइमरी) और माध्यमिक (सेकंडरी)। दिमागी बुखार के प्राथमिक स्तर में वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर संक्रमित करता है, जबकि दिमागी बुखार की दूसरी स्थिति में इंफेक्शन शरीर के अन्य अंगों से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंचता है। यह बुखार होने पर मरीज के दिमाग में सूजन आ जाती है। सिरदर्द, उल्टी, थकान के साथ तेज बुखार चढ़ता है। इस बीमारी की चपेट में आया बच्चा कई बार जीवनभर विकलांगता से जूझता रहता है। कई मरीज मानसिक रूप से भी विकसित नहीं हो पाते हैं।
वायरल इंफेक्शन से होता है दिमागी बुखार
दिमागी बुखार को इंसेफेलाइटिस और मस्तिष्क ज्वर, ब्रेन फीवर के नाम से भी जाना जाता है। यह मस्तिष्क के ऊतकों में सूजन होने पर होता है। इसकी मुख्य वजह वायरल इंफेक्शन होता है। इसके अलावा बैक्टीरिया और फंगस की वजह से भी दिमागी बुखार की समस्या हो सकती है। यह बीमारी अगर बढ़ जाती है तो मरीज देखने, सुनने, सोचने और समझने की क्षमता खो देता है। कई बार जान जाने तक की नौबत आ जाती है।
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