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    अब जो जीता वही सिकंदर नहीं, जो जीता वही बाजीराव पढ़ाया जाए… मंत्री कमल पटेल का बड़ा एलान

  • April 29, 2023

    खरगोन (Khargone) । दुनिया में एक कहावत है “जो जीता वही सिकंदर (Alexander) “, जिसे अब मध्य प्रदेश में नए सिरे से गढ़ा जाने लगा है. इतिहास (History) के पन्नों को बीजेपी के नेता अपने हिसाब से मैनेज करने में लगे हैं. जहां पहले उज्जैन (Ujjain) के विक्रमादित्य विश्व विद्यालय के कुलपति ने “जो जीता वही सिकंदर” मुहावरे को बदलकर “जो जीता वही विक्रमादित्य” बदलने का एलान किया था, वहीं अब मुहावरे को बदलने की इसी दौड़ में अब मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री भी शामिल हो गए हैं. मंत्री कमल पटेल ने एलान किया है कि अब जो जीता वही सिकंदर नहीं, जो जीता वही बाजीराव (Bajirao) पढ़ाया जाएगा.


    दरअसल, मंत्री कमल पटेल (Minister Kamal Patel) खरगोन में बाजीराव पेशवा प्रथम की समाधी पर उनकी पुण्य तिथि के समारोह में शामिल होने पहुंचे थे. इस अवसर में उन्होंने मुहावरे को एक नया रूप दे दिया. कृषि मंत्री ने कहा कि अब “जो जीता वे सिकंदर” नहीं पढ़ाया जायेगा बल्कि उसकी जगह “जो जीता वही बाजीराव” पढ़ाया जायेगा.

     

    मनाई गई बाजीराव पेशवा की पुण्यतिथि
    खरगोन के रावेरखेडी में स्थित बाजीराव पेशवा प्रथम की समाधि पर शुक्रवार को बाजीराव पेशवा की पुण्य तिथि का समारोह मनाया गया. इस समारोह में मध्यप्रदेश के कृषिमंत्री और खरगोन के प्रभारी मंत्री कमल पटेल भी शामिल हुए. इस अवसर पर एक सामाजिक संस्था ने नर्मदा नदी पर बनने वाले नए पुल का नाम बाजीराव पेशवा के नाम पर रखे जाने की मांग कृषि मंत्री से की. साथ ही कुछ लोगों ने आसपास के क्षेत्र को मिलाकर एक नया जिला ओम्कारेश्वर को बनाने की मांग भी की. सामाजिक संस्था के अनुसार बाजीराव पेशवा के नाम से पुल का नाम रखे जाने पर पुल से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उनका स्मरण होता रहेगा.

    संस्था ने बताया कि बाजीराव पेशवा एक महान और अजेय योद्धा थे. संस्था के सदस्यों ने प्रभारी मंत्री को बाजीराव पेशवा की समाधी स्थल से लगे हुए क्षेत्रों के विकास के लिए ओंकारेश्वर, बड़वाह, सनावद, महेश्वर, मंडलेश्वर, करही, काटकुट को मिलाकर ओंकारेश्वर के नाम से नया जिला बनाए जाने की मांग भी की.

    ‘पूरी दुनिया में किया जाएगा विस्तार’
    बाजीराव पेशवा की पुण्यतिथि समारोह में उनकी समाधी स्थल पर पहुंचे प्रदेश के कर्षि मंत्री कमल पटेल ने मिडिया से बात करते हुए कहा, “बाजीराव पेशवा एक अजेय योद्धा थे. एक कहावत है जिसमे कहा गया है जो जीता वही सिकंदर. लेकिन वो हमें गलत पढ़ाया गया है.” उन्होंने कहा, “जो जीता वो बाजीराव यही पढ़ाया जायेगा और सिखाया जायेगा और पूरी दुनिया में इसी का विस्तार किया जायेगा.”

    कुलपति ने भी की थी मांग
    बता दें की बाजीराव पेशवा प्रथम की समाधि खरगोन जिले के रावेरखेड़ी में स्थित है, जहां कल बाजीराव पेशवा प्रथम की 283 वीं पुण्यतिथि समारोह के कार्यक्रम में कृषि मंत्री पहुंचे थे. गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व ही उज्जैन के विक्रमादित्य विश्व विद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने भी ‘जो जीता वही सिकंदर’ मुहावरे को बदलने की बात कही थी. कुलपति का कहना था कि हमारे देश में असली आदर्श महाराज विक्रमादित्य हैं. सिकंदर को किसी भी स्थिति में युवाओं के लिए आदर्श के रूप में स्थापित करना गलत है.

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