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    गड्ढों के लिए अब करना पड़ेगा आंदोलन तभी होगा सड़कों में सुधार

  • July 26, 2022

    • क्या होगा अब इन गड्ढों भरी सड़कों का, नपा करेगी इनमें सुधार या फिर होते रहेंगे हादसे

    विदिशा। शहर की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में अब नया अध्याय देखने को मिल रहा है। सड़कों में गड्ढे और गड्ढों में सड़कें इनको भरवाने के लिए अब टेंडर की नहीं बल्कि आंदोलन की जरूरत प्रशासन को होने लगी है। कारण जिस सड़क के गड्ढों के लिए आंदोलन होता है। उस सड़क के गड्ढे आनन-फानन में भरवा दिए जाते है। बांकि किसी भी मार्ग की सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं रहती। उदाहरण बता दें। बेतवा के पुल पर पड़े गड्ढों को जब भरा गया। जब शहर के एक युवा ने टेंट लगाकर प्रशासन को चुनौती दे डाली। आनन-फानन में प्रशासन मौके पर पहुंचा और सुबह ही नहीं हो पाई कि पुल के ऊपर चमचमाती सड़क दिखाई देने लगी। ताजा उदाहरण सिविल लाइन का ले लें। इस व्हीआईपी रोड के गड्ढे भरने के लिए कांग्रेस के युवाओं ने आंदोलन का रास्ता अपनाते हुए। धान की पौध लगाकर विरोध दर्ज कराया। प्रशासन अधिकारियों का चश्मा उतरा और उन्होंने अधीनस्थ कर्मचारियों को भेजकर उस रोड पर डामर करा दिया। कारण साफ था जिले के मुखिया सहित इस रोड पर प्रशासनिक व्हीव्ही अधिकारियों के बंगले बने हुए हैं।
    लेकिन शहर का एक दुर्भाग्य पहेलु यह भी ऐसी बहुत सी सड़कें हैं। जिन पर वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना भी खतरों से खाली नहीं हैं। ईदगाह रोड की सड़क, बड़े बाजार से डंडापुरा की सड़क, टीलाखेड़ी कॉलोनी की सड़क, बरईपुरा से रामलीला तक की सड़क, मां हॉस्पिटल से ओवरब्रिज तक की सड़क , ट्रिनीटी कॉन्वेंट स्कूल से लेकर बंटी नगर की सड़क के अलावा शहर के सम्मानीय जनप्रतिनिधियों के चश्मे से ओझल होती हुई। तलैया से लेकर सरस्वती नगर की सड़क यह ऐसी कहानी लिखतीं हैं। विकास ढिंढोरा पिटने वाले जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को शर्म आनी चाहिए। यहां आखिर पैंच वर्क क्यों नहीं हुआ। क्या इन सड़कों पर भी गड्ढे भरवाने के लिए आंदोलन का रास्ता शुरू करना होगा। खैर हम तो सचेत करते हैं। जनता समय पर जबाव देती है। वहीं इस संबंध में नगर पालिका के सीएमओ सीपी राय से संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।


    क्या और करना है हादसों का इंतजार…
    शहर जबाव मांगता है एक स्कूल छात्रा की मौत को भुला नहीं पाए हैं। परिजन आज भी गमजदा हैं। घर से स्कूल बच्चे जाते हैं चिंता सताती है कि शहर की सड़कों पर बच्चे कैसे जाएंगे और जब तक बच्चे घर लौट नहीं आते परिजनों को उनके सकूशल लौटने की आस रहती है। एक पखवाड़े भीतर बड़े बाजार पर जो हादसा हुआ था इसके बाद सड़क मार्ग को दुरूस्त नहीं किया गया। व्यापारियों से लेकर सामाजिक संगठनों और कई जनप्रतिनिधियों ने घटना की तीखी निंदा की थी। लेकिन बेशर्मी की हद होती है कि इस और किसी का ध्यान नहीं हैं। समय रहते इन गड्ढों को भर लिया जाए। नहीं तो और कितने मासूमों के साथ घटनाएं घटित होंगीं।

    सड़कों पर चलो और खेलो बिन होली के होली
    बारिश में शहर की सड़कों के गड्ढों पर पानी भर जाता है। पैदल यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। वाहन चालक तेजगति से सरपट वाहन दौड़ते ले जाते हैं। जो पैदल राहगिरों के कपड़ों को रंगबिरंगा कर देता है। यह नजारे आए दिन। ईदगाह रोड, सागर पुलिया रोड के अलावा अन्य मांर्गों पर देखने को मिलते हैं।
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