भोपाल। प्रदेश में सड़क दुर्घनाओं में घायल होने वाले लोगों को त्वरित मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सैटेलाइट का सहारा लिया जाएगा। यानी प्रदेश के हाईवे की निगरानी अब सैटेलाइट से की जाएगी। ताकि घायलों के पास बिना विलंब के एंबुलेंस पहुंच सके। इसके लिए अब हाईवे व आसपास के क्षेत्रों की एंबुलेंस पर मोबाइल डाटा टर्मिनल (एमडीटी) लगाए जाएंगे। यह काम रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (आरडीसी) के एक्सीडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम के तहत होगा। गौरतलब है कि प्रदेश में हाईवे पर होने वाले एक्सीडेंट में कई बार घायल समय पर अस्पताल इसलिए नहीं पहुंच पाते, क्योंकि एंबुलेंस एक्सीडेंट की लोकेशन ही ट्रेस नहीं हो पाती है। ऐसे में एंबुलेंस को लोकेशन तक पहुंचने में समय लग जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए अब हाईवे व आसपास के क्षेत्रों की एंबुलेंस पर एमडीटी लगाए जाएंगे। जुलाई आखिर तक यह काम हो जाएगा। आरडीसी के एक्सीडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम के तहत यह काम होगा। एमपीआरडीसी के सीई इंचार्ज सुनील वर्मा का कहना है कि मप्र एक्सीडेंट के मामले में देश भर में अव्वल है। अब सभी हाईवे आदि के आसपास उपलब्ध एंबुलेंस में एमडीटी लगाएंगे। इससे रिस्पॉन्स टाइम में कमी आएगी और जल्द से जल्द एंबुलेंस घटना स्थल पर पहुंच सकेंगी। अभी हाईवे पर बहुत देर से पता चलता है कि एक्सीडेंट की लोकेशन क्या है, क्योंकि घायलों को यह पता नहीं होता है। एमडीटी डिवाइस लग जाने से रिस्पॉन्स टाइम में कमी आएगी।
शुरू में 150 एम्बुलेंस में डिवाइस लगेगी
एमपीआरडीसी के अधिकारियों के मुताबिक जो एक जनवरी 2021 से अब तक प्रदेश में 64,757 एक्सीडेंट हुए हैं। इनमें 14,743 लोगों की मौत हुई हैं। 94 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए। अधिकांश मामलों में समय पर घायलों को मेडिकल सुविधा नहीं मिल पाई है। इसको देखते हुए अब हाईवे व आसपास के क्षेत्रों की एंबुलेंस पर मोबाइल डाटा टर्मिनल लगाए जाएंगे। शुरू में 150 एम्बुलेंस में डिवाइस लगेगी। इसके लिए एंबुलेंस और पुलिस के टोल नंबरों को आपस में जोड़ा जाएगा। इसके तहत एनएच के नंबर 1033, स्टेट हाईवे के नंबर 1099, एंबुलेंस के लिए 108 और पुलिस के 100 नंबर आपस में जुड़े रहेंगे। यही नहीं सिटीजंस के लिए एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) रहेगा, जो मोबाइल एप की तरह काम करेगा। टोल प्लाजा पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन सिस्टम रहेगा। वाहनों की काउंटिंग के साथ ही क्लासिफिकेशन सेंसर भी लगे रहेंगे।
यह होता है एमडीटी
आरडीसी के अधिकारियों ने बताया की एमडीटी एक तरह की डिवाइस है। जैसे ही एक्सीडेंट की सूचना मिलेगी, संबंधित लोकेशन के सबसे पास वाली एंबुलेंस को मौके पर भेजा जाएगा। यह सैटेलाइट से चलती है। इसके माध्यम से घटना स्थल पर पहुंचने के समय में ही आसपास के अस्पताल में भी सूचना दी जा सकेगी। इससे अस्पताल को भी तैयारी करने का समय मिल सकेगा। अभी जब भी एक्सीडेंट होता है, उसमें कॉलर को यह जानकारी नहीं होती कि वह किस लोकेशन पर है और यहां कौन सा थाना लगता है। ऐसे में कॉल ट्रैकर से उसकी लोकेशन पता की जा सकेगी। एक्सीडेंट के अलावा, प्रेग्नेंसी, स्नेक बाइट, हार्ट अटैक या अन्य बीमारी के लिए यह एंबुलेंस काम करेंगी।
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