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अब नहीं चलेगा धर्मांतरण का खेल

September 01, 2021

– अमरदीप यादव

झारखंड के लगभग हर जिले में धर्मांतरण का खेल चल रहा है और वर्तमान राज्य सरकार मौन है। सेवा और शिक्षा की आड़ में भोले-भाले जनजातीय समाज का चर्च और पश्चिमी ताकतों के अकूत धन के बल पर धर्मान्तरण कराया जा रहा है। सिर्फ गुमला और सिमडेगा में पिछ्ले तीन दशकों में एक लाख से अधिक जनजातीय समुदाय के लोगों का धर्मान्तरण करा दिया गया है। धर्मांतरण की इस घिनौनी साजिश से इन जिलों में आदिम, असुर और खड़िया समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।

राज्य के हजारीबाग, रांची और रामगढ़ में धर्मांतरण का सिलसिला तेजी से चल रहा है। गरीब व निरीह जनजातीय समाज को प्रलोभन देकर उनका धर्म परिवर्तन करना एक सोची समझी अंतरराष्ट्रीय साजिश का परिचायक है, जिसमें ईसाई मिशनरियों की पूरी भागीदारी है। इसका व्यापक असर राष्ट्रीय संसाधनों पर पड़ रहा है और उनका जमकर दुरुपयोग हो रहा है। समाज को खंडित करने के लिए कार्डिनल एन्ड टीम को कितना डॉलर हर साल मिलता है, यह जांच का विषय है। साथ ही ऐसे एनजीओ को चिन्हित करना आवश्यक हो गया है जो सेवा के माध्यम से परोक्ष रूप से मतांतरण में पैसा लगा रहे हैं।

यह कहना लाजिमी होगा कि धर्मान्तरण भारत के खिलाफ परोक्ष युद्ध का द्योतक है। रोम, इटली और तमाम पश्चिमी देशों की ईसाई मिशनरियों का मूल एजेंडा भारत को ईसाई लैंड बनाना है। अपने इस नापाक मंसूबे को परवान चढ़ाने के लिए ये मिशनरियां पूर्वोत्तर के अशिक्षित और गरीब आदिवासी जनजातीय समुदाय को निशाना बना रही हैं। जागरुकता के अभाव में इस समुदाय के लोग आसानी से इन मिशनरियों के शिकार बन जाते हैं। नतीजतन यह खेल थमने के बजाए बढ़ता जा रहा है।

जनजातीय समाज सनातन धर्म का अटूट हिस्सा है। लेकिन राजनीतिक और विदेशी षड्यंत्रों के कारण इसे पृथक बताकर जनजातीय समाज का समूल मतांतरण कराने की कुत्सित साजिश रची गई है। सर्वधर्म समभाव की हमारी प्राचीन परम्परा रही है। हम न तो किसी धर्म को क्षति पहुंचाना चाहते हैं और न ही किसी पर कोई टीका-टिप्पणी ही करने की मंशा रखते है। इतिहास गवाह है कि हिन्दू समाज ने कभी किसी धर्म पर कोई हमला नहीं किया है और न ही कभी किसी को कुचलकर अपने धर्म का विस्तार ही किया है। हम सहिष्णु और उदार हैं। यही वजह है कि अन्य धर्मावलम्बी हिन्दू धर्म पर कुठाराघात करने से नहीं घबराते और न ही अपनी घिनौनी हरकतों से बाज आते हैं। इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम हिन्दू समाज और सनातन धर्म को कलंकित करने वाले मंसूबों को सहज स्वीकार कर लें और उनको खुली छूट दे दें। अब समय आ गया है कि हम भी हिन्दू धर्म विरोधी मानसिकता पर प्रहार करें और उनका मुहतोड़ जवाब दें। यदि हम ऐसा न कर सके तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी।

हमने सारे विश्व को अपना परिवार माना है और सदियों से वसुधैव कुटुंबकम् के नारे को चरितार्थ करते आए हैं लेकिन जब सवाल अस्तित्व पर संकट का आ जाए तो हमें भी मुखर होना ही होगा। हिन्दू धर्मांतरण का पुरजोर विरोध और इसका डटकर मुकाबला करना ही होगा। जिस प्रकार हम राष्ट्र की रक्षा के लिए एकजुट हैं, उसी प्रकार स्वधर्म की रक्षा के लिए भी हमें एकता लानी होगी, तभी भारत के स्वाभिमान को बचाया जा सकता है। क्योंकि, हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि धर्म रक्षति रक्षितः यानी जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।

(लेखक झारखंड भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं।)

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