भोपाल। जिले में एनीमिया (anemia) की शीघ्र और सटीक जांच के लिए स्ट्रिप आधारित हिमोग्लोबीनोमीटर मशीन (hemoglobinometer machine) से जांच की जाएगी। इस प्रक्रिया में एक मिनट से भी कम समय में खून में एचबी (HB) की मात्रा का पता चल जाएगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि मातृ मृत्यु का एक प्रमुख कारण एनीमिया होता है, जिसे सही समय पर पहचान कर मृत्यु के संभावित कारण को कम किया जा सकता है। मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉरपोरेशन द्वारा भोपाल जिले को 211 हिमोग्लोबीनोमीटर सप्लाई किए गए हैं। प्रत्येक उप स्वास्थ्य केंद्र को 2 हिमोग्लोबीनोमीटर एवं स्ट्रिप प्रदान की गई है, जिससे गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों में एनीमिया की जांच की जाएगी।
उन्होंने बताया कि हिमोग्लोबिन या एनीमिया की जांच हेतु वर्तमान में कलर स्केल का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में समय अधिक लगने एवं बेहतर जांच परिणामों के लिए डिजिटल मशीन के द्वारा एचबी की जांच की जाएगी। 6 माह से 59 माह के बच्चों में 7 ग्राम से कम एचबी होने पर, जबकि 5 साल से 14 साल के बच्चों में 8 ग्राम से कम एवं गर्भवती महिलाओं में 7 ग्राम से कम खून होने पर गंभीर एनीमिया होता है। ऐसे गंभीर लोगों की सही समय पर पहचान कर उनका चिकित्सकीय प्रबंधन करना आवश्यक होता है।
गर्भावस्था के दौरान खून की कमी को दूर करने के लिए आईएफए गोली का सेवन करवाया जाता है। गर्भवती महिलाओं में खून की अत्यधिक कमी होने पर आयरन सुक्रोज का डोज लगाने की आवश्यकता भी होती है। इन डिजिटल मशीनों का उपयोग दस्तक अभियान के दौरान 5 साल से छोटे बच्चों में एनीमिया का स्तर जांचने के लिए भी किया जायेगा। एनएफएचएस -5 के अनुसार लगभग 52 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त होती है जबकि 5 साल तक के लगभग 72 प्रतिशत बच्चों में एनीमिया देखा जाता है। इसी प्रकार 58 प्रतिशत किशोरी बालिकाओं में एनीमिया के प्रकरण पाए जाते हैं। डिजिटल हिमोग्लोबीनोमीटर की आपूर्ति उप स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक एएनएम एवं कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर को की गई है, साथ ही कर्मचारियों को इसके इस्तेमाल का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है।
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