इन्दौर। नगर निगम ( Municipal Corporation) द्वारा हातोद (Hatod) स्थित गोशाला (Gaushala) में कंडे बनाने का प्लांट लगाया जा रहा है और आठ से दस दिनों में इसे शुरू करने की तैयारी है। वहां तैयार होने वाले कंडे मुक्तिधामों पर बिना लाभ हानि की दर से बेचे जाएंगे। लकड़ी का उपयोग कम हो, इसके लिए निगम ने यह नई पहल शुरू की है।
हातोद स्थित गोशाला (Gaushala) को नगर निगम (Municipal Corporation) द्वारा संवारने का काम दो बार किया जा चुका है और वहां नए शेड बनाने के साथ-साथ गायों को रखने के लिए कई स्थान बनाए हैं, ताकि सुविधापूर्ण तरीकों से गायों को रखा जा सके। वहां बने हास्पिटल (Hospital) में भी तमाम सुविधाएं जुटाई जा रही हैं और बीमार गायों का उपचार भी हो रहा है। निगमायुक्त प्रतिभा पाल के निर्देश के बाद अब वहां करीब 800 से ज्यादा गायों के गोबर से कंडे बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां चल रही हैं। इसके लिए स्थानीय स्तर पर एक फर्म को काम सौंपे जाने के लिए माथापच्ची चल रही है। कभी हातोद की गोशाला में 1500 से ज्यादा गायें ठसाठस रखी गई थीं। बाद में उन्हें धार, आलीराजपुर, बदनावर, झाबुआ, जोबट से लेकर कई ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी समितियों को सौंपी गई थीं और समितियों द्वारा आदिवासी परिवारों को गायें लालन पालन के लिए सौंप दी गई थीं।
सैकड़ों कंडे रोज तैयार होंगे गोशाला में
नगर निगम ( Municipal Corporation)अधिकारियों के मुताबिक गोशाला में कंडे बनाने के लिए तमाम तैयारियां चल रही हैं और कुछ फर्मों ने वहां इस कार्य के लिए रुचि बताई है। हालांकि इसका फैसला आला अधिकारी करेंगे कि किस फर्म को काम सौंपा जाए। वहां कुछ अत्याधुनिक मशीनों से भी कंडे बनाने के कार्य कराए जाएंगे और वहां बनने वाले कंडों को बिना लाभ-हानि की दर पर मुक्तिधामों में बेचा जाएगा। इसके पीछे यह उद्देश्य है कि मुक्तिधामों में लकड़ी का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है और उसके बजाय लोग कंडों का उपयोग करें।
आने वाले दिनों में कुछ और योजनाओं के प्रस्ताव
गोशाला का संचालन पूरी तरह निगम के हाथ में ही है और वहां अब कई समितियों और धार्मिक संस्थाओं को भी जोड़े जाने की तैयारी है, ताकि वहां कई कार्य कराए जा सकें। इसके अलावा गोशाला को बेहतर तरीके से संवारने के साथ-साथ उसके आसपास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पौधारोपण के साथ-साथ गायों को बचाने के प्रयासों की चित्र प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
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