मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास के तहत शासन 20 प्रतिशत की राशि देगा, शेष राशि निगम को लोन के माध्यम से लेनी होगी
इन्दौर। शहर की 15 से ज्यादा प्रमुख सडक़ों को बनाने के लिए अब नगर निगम (Municipal Corporation) मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास (Chief Minister, Urban Infrastructure Development) के तहत 80 प्रतिशत राशि का लोन लेगा और 20 प्रतिशत की राशि शासन द्वारा दी जाएगी। इसके लिए दो से चार दिनों में टेंडर (Tender) की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। शहर की कई प्रमुख सडक़ें बनाई जाना थीं, लेकिन निगम की आर्थिक स्थिति के चलते काम शुरू नहीं हो पा रहे थे।
शहर की कई सडक़ें बारिश (Rain) के बाद खस्ताहाल हो गई थीं। उनके मामले में भी आने वाले दिनों में निर्णय लिया जाना है कि किन फर्मों को सडक़ों की मरम्मत के काम दिए जाएं, क्योंकि राजस्थान (Rajasthan) और महेंद्रा सीमेंट द्वारा पिछले दिनों अलग-अलग स्थानों पर खस्ताहाल सडक़ों को सुधारने के लिए नई तकनीक का उपयोग करते हुए प्रेजेन्टेशन दिए गए थे। इनमें एक कंपनी ने दावा किया था कि मरम्मत की गई सडक़ें वर्षों तक खराब नहीं होंगी और सुधार कार्य के चार घंटे बाद ही वहां से यातायात संचालन भी शुरू किया जा सकता है। कल महापौर पुष्यमित्र भार्गव और जनकार्य समिति प्रभारी राजेंद्र राठौर ने सडक़ों के मामलों को लेकर अधिकारियों के साथ चर्चा की। मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास के तहत शहर की 15 से ज्यादा सडक़ें 27 करोड़ की लागत से बनाई जाना है और इसके लिए शासन स्तर से 20 प्रतिशत की राशि मिलना है, जबकि शेष 80 प्रतिशत राशि के लिए निगम लोन लेकर सडक़ें बनाएगा। राठौर के मुताबिक इस मामले में चौथे चरण के तहत काम शुरू करने के लिए दो से चार दिनों में टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू होगी और पहले प्रमुख लंबित सडक़ों के काम शुरू कराए जाएंगे।
लोन लेकर बनेंगी ये सडक़ें
राठौर के मुताबिक एमपीईबी झोन से संगमनगर राम मंदिर मार्ग होते हुए गोमती नगर तिराहे तक सडक़ का चौड़ीकरण और स्टार्म वाटर लाइन बिछाने का काम शुरू किया जाएगा। वार्ड चार के अंतर्गत पटेल नगर की मुख्य सडक़, वार्ड 58 के तहत अहिल्या पल्टन की सडक़ वार्ड 59 में निहालपुरा की कई गलियों में नई सडक़ों का निर्माण, वहीं चितावद कांकड़ चौराहा, त्रिवेणी नगर से चितावद तक की सडक़, मालवीय नगर में एमआर 9 से एलआईजी लिंकरोड का निर्माण और राजमोहल्ला वाल्मीकि बस्ती से रामानंद नगर तक कि सडक़ बनाए जाने के मामले प्रमुख हैं।
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