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अब महापौर पद के दावेदार भी वार्ड बदलकर तलाश रहे पार्षदी की जमीन

November 08, 2020

  • सूरज निकलने से पहले नेता वार्डों में पहुंच जनता की सेवा में जुटे

भोपाल। विधानसभा के उपचुनाव हो गए हैं और अब परिणाम भी आने ही वाले हैं। ऐसे में स्वभाविक है कि नगरीय निकाय चुनाव ही अगला टारगेट होगा। इसकी तैयारी तो काफी पहले से चल ही रही है। सितम्बर में पार्षद पदों का आरक्षण हो चुका है लेकिन मामला महापौर पद के आरक्षण पर अटक गया है। ऐसे में कई नेता तो ऐसे हैं जिनके वार्डों का आरक्षण ही उनके मनमुताबिक नहीं हुआ है इसलिए अब वे दूसरे वार्डों में जमीन तलाश रहे हैं ऐसे में वहां वर्षों से नजरें जमाए नेताओं को गुस्सा आ रहा है। अब हालात यह हैं की सूरज नहीं निकल पाता और नेता पहुंच जाते हैं लोगों के घर। खैर महापौर पद का आरक्षण भी इस माह के अंत तक होने की सुगबुगी है और दिसम्बर के पहले सप्ताह तक यह तय हो जाएगा कि नगरीय निकाय चुनाव होंगे कब। वार्ड आरक्षण ने बहुत से लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया जबकि कई इससे गदगद हैं, जो गदगद हैं उनके पेट में गुडग़ुड़ करने ऐसे नेता उनके वार्डों में पहुंच रहे हैं जिनके वार्ड उनसे छिन चुके हैं। यह स्थिति विवाद का कारण भी पैदा कर रही है और हो न हो आने वाले समय में निश्चित ही मार-कुटाई तक की नौबत आ सकती है। कुछ नेता तो अभी तक महापौर पद के दावे ठोंक रहे थे लेकिन वे पार्षदी पर भी नजर रखे हुए हैं िक कहीं आरक्षण उनके मुताबिक नहीं हुआ तो कम से कम पार्षद तो बन ही जाएंगे।

कोरोना ने खर्च कम कर दिया
खुद को प्रमोट करने लोगों के घर पहुंच रहे नेता घर के बाहर ही नजर आते हैं क्योंकि कोरोना के कारण न तो घर वाले उन्हें अंदर बैठाने में रुचि लेते हैं और न ही नेता ही घर के अंदर बैठना चाहते हैं। ऐसे में दीपावली जैसे पर्व पर पहले तो हजारों रुपए खर्च हो जाते थे लेकिन कोरोना के बहाने अब गिफ्ट की भी झंझट नहीं है। बस यहां से निकल रहा था सोचा आपसे नमस्ते कर लूं, यह जुमला हर नेता की जुबान पर है लेकिन समझने वाले समझ जाते हैं िक आप कहाँ के लिए निकले थे।

मां और पत्नी को कर रहे प्रमोट
त्योहारों की बधाई के लिए कई नेताओं ने अपने क्षेत्रों में जो पोस्टर लगवाए उनमें इस बार कुछ नया था यानी उनकी पत्नी या मां की फोटो भी उसमें नजर आई। यह हुआ आरक्षण के कारण। जिन नेताओं के वार्डों में आरक्षण महिला के लिए हुआ है वे किसी भी सूरत में अपना वार्ड नहीं खोना चाहते इसलिए मां या पत्नी को प्रमोट कर रहे हैं और उन्हें ही चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही है।

दिसम्बर के पहले सप्ताह में तय होगा कि चुनाव कब होंगे
जानकारों का कहना है कि उपचुनावों के नतीजे आने के बाद दीपावली है और कुछ दिन तो इसी में बीत जाएंगे, इसके बाद नवम्बर के अंतिम सप्ताह में महापौर पद का आरक्षण हो सकता है। इसके बाद दिसम्बर के पहले सप्ताह में तय हो जाएगा कि नगरीय निकाय चुनाव दिसम्बर, जनवरी में होने हैं या फिर अप्रेल और मई में। इसमें बहुत हद तक कोरोना के मामले भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, यदि मामले तेजी से बढ़े तो यह सारी प्रक्रिया आगामी दिनों के लिए टल जाएगी और कम ही रहे तो प्रक्रिया जारी रहेगी।

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