इंदौर। कुछ दिनों पूर्व वाणिज्यिक कर विभाग ने अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए जमा टैक्स राशि को फर्जी बिलों के जरिए वापस हड़पने का 300 करोड़ रुपए से अधिक का फर्जीवाड़ा पकड़ा था। उसके बाद अब केंद्रीय जीएसटी ने 2000 से अधिक उन व्यापारिक फर्मों के कागजी बिलों को खारिज कर दिया, जो टैक्स बचाने के नाम पर जारी किए गए। अब इन फर्मों से जिन अन्य व्यापारियों ने कारोबार किया वे भी उलझ गए, क्योंकि उन्हें अब टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं, विभाग द्वारा पारित आदेश में ब्याज और पेनल्टी की राशि अलग वसूल की जाएगी।
वाणिज्यिक कर विभाग ने बोगस व्यापारियों के खिलाफ पिछले एक साल से बड़ा अभियान शुरू कर रखा है, जिसके दायरे में विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ कर सलाहकार और चार्टर्ड अकाउंटेंट भी आए। कई बोगस फर्मों की सप्लाय चेन को भी पकड़ा गया, जो कागजों पर ही बोगस टर्नओवर दिखा रही थी, जिसमें कई तरह के फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों, किराएनामे का भी इस्तेमाल किया गया। स्टेट जीएसटी एंटीइवेजन ब्यूरो इंदौर के अधिकारियों ने डाटा एनालिसिस करते हुए जियोटैगिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ जब कई व्यावसायिक स्थलों का परीक्षण किया गया तो पता चला कि यहां पर इस तरह की कोई गतिविधि ही संचालित नहीं होती, यानी ये तमाम फर्में बोगस, यानी कागजों पर संचालित पाई गईं। इसी तरह केंद्रीय जीएसटी ने इंदौर रीजन के 2000 से अधिक व्यापारियों को नोटिस जारी किए हैं और उनके कागजी बिलों को खारिज कर दिया है। 1 अगस्त से बी-टू-बी सौदों में ई-इनवाइस जारी करना अनिवार्य किया था। अब इन फर्मों से व्यापार करने वालों को भी टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा और ये 2000 से अधिक फर्में ई-इनवाइस भी जारी नहीं कर पाएंगी। साथ ही निर्धारित कर, ब्याज और पेनल्टी के साढ़े 12 प्रतिशत भी जमा करना पड़ेंगे।
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