भोपाल। सरकारी अस्पतालों में टूटफूट और मरम्मत के लिए अब बजट की कमी बाधा नहीं बनेगी। स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों के प्लिंथ एरिया (निर्मित क्षेत्रफल) के मुताबिक प्रति स्क्वायर फिट के हिसाब से मेंटेनेंस का बजट उपलब्ध कराएगा। स्वास्थ्य संचालनालय ने प्रदेश के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की जानकारी मंगाई है। अब सालाना मरम्मत के लिए स्वास्थ्य विभाग ब्लॉक मेडिकल ऑफीसर को फ्री हेंड देगा। वहीं पीएचसी के इंचार्ज मेडिकल को भी मेंटेनेंस के लिए बजट दिया जाएगा। दरअसल स्वास्थ्य विभाग को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय साल 2018 से संस्थाओं के मेंटेनेंस के लिए करीब 25 करोड से सौ करोड के बीच बजट दे रहा है। लेकिन प्लानिंग न होने के चलते हर साल करीब 50 फीसदी से ज्यादा मेंटेनेंस मद का बजट लैप्स हो जाता है। विभागीय अफसर बताते हैं कि सीएचसी और पीएचसी के भवनों में मरम्मत का एस्टीमेट बनाने के लिए कोई टेक्नीकल स्टाफ नहीं होता। जब भी कोई काम कराना होता है तो बीएमओ एस्टीमेट बनाकर स्वास्थ्य विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजते हैं। विभाग की मंजूरी मिलने के इंतजार में कई बार बजट लैप्स हो जाता है। इससे परेशान होकर अब स्वास्थ्य विभाग सीएचसी, पीएचसी के इंचार्ज को सीधे एकमुश्त मरम्मत के लिए बजट उपलब्ध कराएगा।
इस साल मरम्मत के लिए मिले 161 करोड़
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल स्वास्थ्य संस्थाओं की मरम्मत के लिए करीब 50 करोड़ रूपए का बजट मिला था जिसमें सिर्फ 20 करोड़ ही खर्च हो पाए थे। इस साल 2022-23 के लिए 161 करोड़ रूपए मिले हैं। एक महीने में प्लानिंग करके अस्पतालों के इंचार्ज डॉक्टर्स के खातों में मेंटेनेंस की राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी। सीएचसी और पीएचसी में एक लाख रूपए तक की मरम्मत के काम कराने के लिए अस्पताल के इंचार्ज डॉक्टर तीन एस्टीमेट मंगाकर न्यूनतम दरों पर काम करा पाएंगे। निरीक्षण के दौरान अस्पताल की बिल्डिंग में खामी मिली तो बीएमओ और पीएचसी के इंचार्ज डॉक्टर जिम्मेदार माने जाएंगे।
अस्पतालों को मिलेगा एनुअल मेंटेनेंस बजट
मप्र में करीब 1200 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और करीब 350 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। इनकी सालाना मरम्मत के लिए अब तीन से पांच लाख रूपए का फंड मिलेगा। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के निर्मित क्षेत्रफल की जानकारी के साथ ही बीएमओ और पीएचसी के इंचार्ज डॉक्टर का खाता नंबर मंगाया है। इनके अकाउंट में मेंटेनेंस का बजट दिया जाएगा। 2018 के बाद बने अस्पताल भवनों को मरम्मत का बजट नहीं मिलेगा।
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