नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें केंद्र सरकार को ‘मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट’ बनाने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई है। शीर्ष अदालत ने इस मामले को महत्वपूर्ण बताया है।
जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका का परीक्षण लेने का निर्णय लेते हुए कहा कि हमें लगता है कि इस संबंध में कुछ दिशानिर्देश जारी करने की जरूरत है। पीठ ने इस मामले में केंद्र को चार हफ्ते में इस संबंध में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
रेरा के तहत कोई अखिल भारतीय मॉडल उपलब्ध नहीं है: वरिष्ठ वकील विकास सिंह
पीठ ने इस मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए इस मामले का जल्द निपटारा करने का निर्णय लिया है।सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर आए पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने पीठ से कहा कि रेरा के तहत कोई अखिल भारतीय मॉडल उपलब्ध नहीं है।
उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि ‘मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट’ से रियल एस्टेट में पारदर्शिता आएगी और फ्लैट खरीदारों को धोखाधड़ी का सामना नहीं करना पड़ेगा। वर्तमान में रियल इस्टेट के तमाम अग्रीमेंट एकतरफा और मनमाने होते हैं। यह एग्रीमेंट फ्लैट खरीदारों के लिए हितों को नजरअंदाज करने वाले हैं।
याचिका में रेरा एक्ट के तहत ग्राहकों की सुरक्षा की मांग
रेरा एक्ट, 2016 और संविधान के अनुच्छेद-14, 15 और 21 के मद्देनजर उपभोक्ताओं को संरक्षण दिया जाना चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि सभी राज्यों को ‘मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट’ और ‘मॉडल एजेंट बायर एग्रीमेंट’ को लागू करने का निर्देश दिया जाए जिससे कि उपभोक्ताओं को होने वाली मानसिक व वित्तीय परेशानी को दूर किया जा सके।
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