नई दिल्ली (New Delhi)। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir)में बीते कुछ दिनों में कई जगहों पर आतंकी सेना (Terrorist Army)के जवानों को निशाना(target the soldiers) बना चुके हैं। 9 जून को केंद्र की नई सरकार (new central government)के शपथ ग्रहण(oath taking) के बाद से ही चार बड़े आतंकी हमले (Terrorist attacks)हो चुके हैं। 9 जून को ही रियासी में आतंकियों न श्रद्धालुओं की बस पर हमला करके 9 की जान ले ली थी। इसके बाद कठुआ में सेना के काफिले पर हमला किया गया। 15 जुलाई को डोडा में आतंकियों ने हमला किया जिसमें चार जवान शहीद हो गए। आतंकियों का सफाया करने के लिए अब सेना ने जम्मू रीजन में 3 हजार अतिरिक्त जवान उतार दिए हैं। पीर पंजाल इलाके में जंगलों में छिपे आतंकियों को साफ करने के लिए बड़े ऑपरेशन का प्लान बनाया गया है। वहीं शनिवार को सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी इस क्षेत्र का दौरा करने वाले हैं।
अतंकियों के सफाए के लिए तीन अतिरिक्त ब्रिगेड तैनात
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ ही दिनों में जम्मू रीजन में एक हेडक्वार्टर ब्रिगेड, तीन इन्फैंट्री बटालियन और कुछ एलीट पैरा स्पेशल फोर्स के जवानों को तैनात किया गया है। इन्हें जम्मू-कश्मीर के बाहर से बुलाया गया है। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया, ये अतिरिक्त जवान जम्मू रीजन में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन को तेज करेंगे। अभी सीएपीएफ के जवानों का इस इलाके में आना जारी है।
अधुनिक हथियारों से लैस आतंकी
बताया गया कि आतंकियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर जॉइंट ऑपरेशन चलाया जा रहा है। पाकिस्तान से घुसपैठ करके आए आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर का माहौल खराब करने की कोशिश की है और उनको पूरी तरह से साफ किया जाएगा। कश्मीर घाटी के मुकाबले जम्मू रीजन से घुसपैठ ज्यादा होती है। ऐसे में इस इलाके में अभियान तेज किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि विदेशी आतंकियों के पास अत्याधुनिक हथियार होते हैं जिनमें एमपी-4 असॉल्ट राइफल, स्टील कोर बुलेट और संचार के भी साधन शामिल हैं। आतंकी हमला करने के लिए निचले इलाके में आते हैं और फिर पहाड़ी इलाकों के जंगलों में छिप जाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया था कि मानव खुफिया तंत्र और सिग्नल इंटेलिजेंस की कमी की वजह से आतंकियों के हौसले बुलंद हैं। ऐसे में इंटेलिजेंस ब्यूरो, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य एजेंसियों को साथ मिलकर समन्वय का साथ काम करने की जरूरत है। बीते कुछ सालों में कश्मीर घाटी में शांति की वजह से सेना के जवानों की संख्या को कम कर दिया गया था। मई 2020 में चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद कम से कमम 15000 जवानों को लद्दाख भेज दिया गया था।
सेना ने अब भी राष्ट्रीय राइफल्स की रोमियो फोर्स और डेल्टा फोर्स के 15 हजार जवानों को जम्मू रीजन में तैनात कर रखा है। इसके अलावा रेग्युलर इन्फैंट्री बटालियन भी तैनात है। दरअसल आतंकी घुसपैठ के बाद पीर पंजाल में छिपने की जगह तलाश करते हैं। अतिरिक्त सैनिकों की तीन ब्रिगेड को तैनात करके पीर पंजाल के जंगलों में छिपे आतंकियों को ढेर किया जाएगा। 2003 में भी इसी तरह का ऑपरेशन सर्पविनाश शुरू किया गया था। इस बार आतंकियों ने गुफाओं में ठिकाने बना लिए हैं। वहीं आतंकी ऊंचे इलाकों में छिपते हैं जिससे जब नीचे से जवान ऑपरेशन शुरू करते हैं तो उनके लिए हमला करना और भागना आसान हो जाता है।
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