ब्‍लॉगर

अब सूरज की ओर कदम…

– प्रभुनाथ शुक्ल

अंतरिक्ष विज्ञान में भारत महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। अंतरिक्ष की दुनिया में सबसे कम खर्च में हमारे वैज्ञानिकों ने बुलंदी का झंडा गाड़ा है। हम चांद पहुंच चुके हैं और कदम सूरज की तरफ बढ़ गए हैं। कभी हम साइकिल पर मिसाइल रखकर लांचिंग पैड तक जाते थे, लेकिन आज हमारे पास अत्याधुनिक तकनीकी उपलब्ध है। इसका लोहा अमेरिका और दुनिया के तकनीकी एवं साधन संपन्न देश मानते हैं। इसरो के चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग ने सारी दुनिया को चौंका दिया। इस सफलता की पूरी दुनिया गवाह बनी।

अंतरिक्ष में यह नए युग की शुरुआत है। अंतरिक्ष में बढ़ते कदम की वजह से चन्द्रमा के साथ-साथ अन्य तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। इस मिशन का उपयोग हम विभिन्न क्षेत्रों में करेंगे। इसकी वजह कृषि एवं दूसरे क्षेत्र में बड़ा फायदा मिलेगा। हमारे सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम की वजह से मौसम की सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। भीषण चक्रवातीय तूफानों की त्वरित सूचना समय पर उपलब्ध होने से लोगों को आपदा से बचा लिया जा रहा है। जनधन की हानि को नियंत्रित किया जा सका है।


चंद्रमा कभी हमारे लिए किस्से-कहानियों में होता था। अब चंद्रलोक की बहुत सारी जानकारी हमारे पास है। दुनिया के लिए चांद अब रहस्य नहीं है। वैज्ञानिक शोध से यह साबित हो गया है कि चांद पर जीवन बसाना आसान है। अब हमारे कदम सूर्य की तरफ बढ़ गए हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दो सितंबर को देश के पहले सूर्य मिशन के तहत ‘आदित्य-एल1’ यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित कर दिया है। इसरो ने कहा है कि प्रक्षेपण सफल रहा।

‘आदित्य-एल1’ सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करेगा। ‘आदित्य एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। इसे इसरो के सबसे भरोसेमंद पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के जरिये श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। ‘आदित्य-एल1’ के 125 दिन में लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास हेलो कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद है। इस कक्षा को सूर्य के सबसे करीब माना जाता है।

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं के अलावा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है। ‘आदित्य-एल1’ के साथ सात पेलोड हैं। इनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे। इसरो ने साफ किया है कि सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के करीब आएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदित्य L-1 की सफल लॉन्चिंग के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखी है। संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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