- चुनाव के चलते हटाए जाएंगे अविनाश लवानिया
रामेश्वर धाकड़
भोपाल। प्रदेश में निकट भविष्य में प्रशासनिक फेरबदल होना प्रस्तावित है। जिसमें एक दर्जन से ज्यादा जिलों में कलेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। इनमें भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया का नाम भी है। लवानिया जून में कलेक्टर भोपाल के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव के चलते जून से पहले या फिर बाद में इनका हटना तय है। इससे पहले भोपाल कलेक्टर के लिए अफसरों की दौड़ शुरू हो गई है। इस दौड़ में हाल ही में ग्वालियर कलेक्टर से हटाकर मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ किए गए 2010 बैच के आईएएस कौशलेंद्र विक्रम सिंह और उज्जैन कलेक्टर से हटाकर एमपीआरडीसी के एमडी बनाए गए आशीष सिंह का नाम भोपाल कलेक्टर की दौड़ में सबसे आगे है। साथ ही नर्मदापुरम संभाग के दो जिलों के कलेक्टरों के नाम भी शामिल हैं।
इनमें से जूनियर एक अफसर की मंत्रालय में तगड़ी पकड़ है। इसका फायदा उन्हें मिल आगे भी मिल सकता है। चूंकि चुनावी साल है, इस लिहाज से भोपाल का कलेक्टर के लिए अधिकारी का चयन महत्वपूर्ण हो सकता है। ऐसे में यदि इनमें से किसी अधिकारी के नाम पर सहमति नहीं बनती है तो फिर इंदौर कलेक्टर से हटाकर आयुक्त उद्योग एवं एमडी मेट्रो रेल कंपनी बनाए गए मनीष सिंह को भी भोपाल कलेक्टर की कमान मिल सकती है। सिंह 2009 बैच के प्रमोटी अफसर हैं। इंदौर कलेक्टर रहते वे प्रदेश के 52 जिलों में से सबसे ताकतवर और सत्ता के बेहद करीबी और पसंदीदा अफसर रहे हैं। कमलनाथ सरकार में भी मनीष सिंह को भोपाल कलेक्टर बनाने की अटकलें थीं। कुछ मंत्रियों ने सिफारिशी पत्र भी लिखे थे, लेकिन मंत्री आरिफ अकील के खुले विरोध के चलते मनीष सिंह भोपाल कलेक्टर नहीं पाए थे। सिंह भोपाल नगर निगम आयुक्त भी रहे हैं। भोपाल कलेक्टरी के काबिल और भी बेहतरीन अफसर सरकार के पास हैं, लेकिन उनकी ‘पकड़Ó उतनी मजबूत नहीं है।