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अब इंदौर में लगेंगे संजीवनी बूटी के पेड़

April 11, 2024

लुप्त होती जा रही पेड़ों की दुर्लभ प्रजाति बचाने की तैयारी

आदिवासियों की संजीवनी बूटी के नाम से मशहूर है दहिमन पेड़

इंदौर। बड़ी तेजी विलुप्त हो रही दुर्लभ प्रजातियों को बचाने के लिए इंदौर सामाजिक वानिकी विभाग (Indore Social Forestry Department) ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसकी शुरुआत आदिवासी इलाकों में अपनी बहुमुखी औषधीय विशेषताओं के कारण संजीवनी बूटी (Sanjeevani herb) माने जाने वाले दहिमन पेड़ से हो रही है। इसके अलावा एक और दुर्लभ प्रजाति कृष्णवट के पेड़ भी ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार किए जाएंगे। यह आदेश सामाजिक वानिकी विभाग की बैठक में अधिकारी आदर्श श्रीवास्तव ने दिए हैं।


अधिकारियों के अनुसार कई कारणों से दहिमन और कृष्णवट दोनों पेड़ो का वजूद लगभग खत्म होने की कगार पर है। इसलिए इन्हें दुर्लभ प्रजाति में शामिल किया गया है। अब यह दोनों पेड़ ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए सामाजिक वानिकी विभाग की नर्सरी में तैयार होंगे। प्राचीनकाल से दहिमन पेड़ के पत्ते छाल, फल, फूल कई प्रकार की गम्भीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होते रहे हैं। इसके अलावा इसके पत्तों का उपयोग चि_ी पत्री यानी सन्देश भेजने के लिए भी किया जाता रहा है।


इन बीमारियों में काम आता है दहिमन पेड़
यह दुलभ प्रजाति का चमत्कारिक औषधीय पेड़ सतपुड़ा, अमरकंटक, छतीसगढ़ के बस्तर में पाया जाता है । इस पेड़ की छाल, पत्ते, फल-फूल, पत्तों का वैद्य चिकित्सक औषधियों में इस्तेमाल करते हैं।
– इसके पत्ते अथवा छाल का ज्यूस कैंसर की बीमारी में फायदेमंद होता है।
– किडनी में सूजन और पाचन सम्बन्धित बीमारियों में भी इसकी छाल का ज्यूस बहुत काम आता है।
– फ़ूड पाइजनिंग और सांप के काटने या जहरखुरानी के इलाज में रामबाण साबित होता है।
– ब्लड प्रेशर, शरीर के घाव भरने, शराब की लत छुड़ाने के इलाज में भी इसका इस्तेमाल होता है।
– पीलिया के इलाज में यह फायदेमंद साबित होता है। अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण यह पेड़ आदिवासियों में संजीवनी बूटी माना जाता है।

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