इंदौर। आखिरकार अब मध्यप्रदेश के वन विभाग में भी गुजरात मॉडल लागू करने की शुरुआत होने जा रही है। गुजरात मॉडल सिस्टम के अनुसार मध्यप्रदेश में पौधारोपण से लेकर विभागीय निर्माण कार्य अब निजी एजेंसी मतलब प्राइवेट कम्पनियां करेंगी। यानी अब इंदौर सहित मध्यप्रदेश के जंगलों में निजी कम्पनियों की घुसपैठ होने जा रही है। यानी प्लांटेशन से लगाकर निर्माण कार्य के अधिकार वन विभाग से ले लिए गए हैं।
मध्यप्रदेश वन विभाग में गुजराती मॉडल लागू करने की भनक वन विभाग की समितियों से लेकर वन कर्मचारियों की यूनियन सहित जिला स्तर के अधिकारियों को लग गई थी, जिसका सभी ने विरोध किया था और विरोध अभी भी जारी है। अधिकारियों के अनुसार गुजरात वन विभाग में प्राइवेट कांट्रेक्टरशिप सिस्टम कई सालों से जारी है। विरोध करने वालों का कहना था कि वन विभाग की रक्षा के लिए निजी कम्पनियों या ठेकेदारों को ठेका देना ठीक नहीं है।
इससे वन विभाग का वर्किंग सिस्टम बिगड़ जाएगा, जिसका असर जंगलों की सुरक्षा से लेकर वन सम्पदा सहित वन समिति के सदस्य ग्रामीण और आदिवासियों के रोजगार पर भी पड़ेगा। इससे जंगल में निजी कम्पनियों के कर्मचारियों और वन विभाग के बीच टकराव बढऩे की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
कई लोग गुजराती मॉडल के समर्थन में भी
जहां कई लोग इस गुजराती मॉडल का विरोध कर रहे हैं, वहीं कई लोग इस सिस्टम का समर्थन भी कर रहे हैं। हर साल करोड़ों पौधे लगाने के आंकड़े बताए जाते हैं, मगर जब उनकी गणना की जाती है तो लाखों पौधे गायब मिलते हैं। इसके अलावा अवैध कटाई के चलते जंगल की हजारों टन लकडिय़ां टिंबर मार्केट में पहुंच जाती हैं। वन अधिकारी-कर्मचारी, वनरक्षक की मिलीभगत के चलते जंगलों में हर साल अवैध कब्जे अथवा अतिक्रमण होते जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में 76 हजार 429 वर्गकिलोमीटर तक जंगल फैला हुआ है। इंदौर जिले में 710 वर्गकिलोमीटर जंगल है।
अब इंदौर सहित मध्यप्रदेश वन विभाग में भी गुजरात मॉडल लागू किया जा रहा है। पौधारोपण से लेकर अन्य निर्माण कार्य अब प्राइवेट कम्पनियां करेंगी। इसकी कवायद शुरू हो गई है। – महेंद्रसिंह सोलंकी , डीएफओ, वन विभाग, इंदौर
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