ब्‍लॉगर

अब ओमीक्रान की दहशत

– डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

कोरोना के दो साल होने के बावजूद यह नए-नए रूप लेकर सामने आ रहा है। अब अफ्रीका से इसका नया रूप ओमीक्रान दुनिया को हिलाने आ गया है। कोरोना के नए वैरियंट ओमीक्रान को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी काफी गंभीर है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह कोरोना के डेल्टा अवतार से भी सात गुणा तेजी से फैलने वाला वैरियंट है। वैरियंट की गंभीरता को देखते हुए उसे कंसर्ट ऑफ वैरियंट घोषित किया गया है अन्यथा सामान्यतः वैरियंट ऑफ इंटरेस्ट की श्रेणी में ही रखा जाता है।

विशेषज्ञों द्वारा माना जा रहा है कि यह वैरियंट डेल्टा से भी ज्यादा तेजी से फैलने वाला वैरियंट है। एक अनुमान के अनुसार डेल्टा से सात गुणा अधिक तेजी से यह फैलता है। गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि न्यूयार्क में 15 जनवरी, 2022 तक के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी है तो दुनिया के देश दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर रोक लगा रहे हैं। गौरतलब है कि कोरोना के ही वैरियंट डेल्टा ने अक्टूबर 2020 में भारत में प्रवेश किया और जबरदस्त तरीके से प्रभावित करने के साथ ही जानलेवा साबित हुआ। ओमीक्रान को गंभीरता से लेने का एक कारण यह भी है कि जहां एक ओर यह वैरियंट तेजी से फैल रहा है वहीं यह भी माना जा रहा है कि वैक्सीन इस पर अधिक असरकारक नहीं है। अफ्रीका में करीब दो माह से प्रभावित कर रहा यह वैरियंट ओमीक्रान पिछले चार से पांच दिनों में ही दक्षिण अफ्रीका के साथ ही हांगकांग, बोत्सवाना, बेल्जियम, जर्मनी, चेक गणराज्य, इजराइल और ब्रिटेन पहुंच गया है।

ओमीक्रान की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि शुक्रवार को देश में शेयर बाजार धड़ाम से गिर गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में चिंता व्यक्त की तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उच्चस्तरीय बैठक कर आवश्यक निर्देश दिए और बूस्टर डोज की तैयारी करने को कहा। हालांकि देश में कोरोना की चिंता के बीच ही 15 दिसंबर से अंतरराष्ट्रीय उड़ाने शुरू करने की घोषणा की गई है पर इसकी नए सिरे से समीक्षा की आवश्यकता हो गई है। यूरोपीय संघ सहित दुनिया के देश अफ्रीका से हवाई उड़ानों पर रोक लगा रहे हैं। अब तक 1200 से अधिक संक्रमित मिलने से दुनिया दहशत में आ गई है। भारत सहित दुनिया के देश स्थितियों पर गंभीरता से नजर रखे हुए हैं और आवश्यक एहतियाती तैयारी में जुट गए हैं।

दरअसल यह माना जा रहा था कि कोरोना का अभिशाप अधिक दिन नहीं चलेगा पर देखते-देखते दो सालों में ही दुनिया के देश इसके पांच वैरियंट से रूबरू हो चुके हैं। सितंबर 2020 में इंग्लैंड में अल्फा, मई, 2020 में दक्षिण अफ्रीका में बीटा, नवंबर, 2020 में ब्राजील में गामा, अक्टूबर, 2020 में भारत में डेल्टा और अब ओमीक्रान ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। दरअसल वायरस की जीनोमिक संरचना में बदलाव होकर के यह नए वैरियंट का रूप ले लेता है। कोरोना ने वैसे तो पूरी दुनिया में अपना असर दिखाया है पर अमेरिका, ब्राजील, भारत संक्रमण और मौत के मामलों में सबसे अधिक प्रभावित देश रहे हैं।

दरअसल कोरोना जैसी महामारी से जूझने का दुनिया के देशों के सामने यह पहला अवसर आया है। इससे पहले प्लेग, कोलेरा, फ्लू, काला ज्वर, तपेदिक, पोलियो, एड्स, खसरा, चेचक जैसी कई महामारियों से दुनिया जूझ चुकी है। समय के साथ इनका इलाज भी खोजा गया। पर कोरोना के चलते तपेदिक वापस अपना असर दिखाने लगी है और पिछले दिनों तपेदिक के कारण मौत के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

सवाल यह है कि कोरोना प्रोटोकॉल की बावजूद जिस तरह से कोरोना का थोड़ा असर कम दिखते ही प्रतिबंधों में छूट और शिथिलता बरती जाने लगी तो कोरोना नए अवतार में सामने आने लगा। नो मास्क नो एंट्री और दो गज की दूरी के संदेश के बावजूद धीरे-धीरे इनका असर कागजी रहने से तबाही का मंजर जारी है। लापरवाही के चलते कोरोना है कि थोड़ी राहत देकर वापस पूरी तेजी से आक्रामक हो रहा है। अभी वैक्सीनेशन भी पूरी तरह से नहीं हो पाया है।

दरअसल लोगों में निराशा अधिक व्याप्त होने लगी है। ऐसे में इस सबके साथ ही आशा और विश्वास की बूस्टर डोज ज्यादा जरूरी हो जाती है। एक ओर वापस कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं तो दूसरी और शिथिलता भी बढ़ती जा रही है। यूरोपीय देशों में पाबंदियों को हटाने को लेकर बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे में सबकी जिम्मेदारी हो जाती है कि लोगों को कोरोना प्रोटोकाल की सख्ती से पालना सुनिश्चित की जाए। लोगों को यह समझना होगा कि जीवन है तो सबकुछ है नहीं तो कुछ भी नहीं। ऐसे में अभी सतर्कता जरूरी है और इसे समझना व समझाना होगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Share:

Next Post

मोदी के एक फैसले से देश के सामने आई किसान आंदोलन की सच्चाई

Tue Nov 30 , 2021
– अशोक मधुप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा ही नहीं की अपितु अपनी चतुरता से बड़ा खेल खेल दिया। उन्होंने विपक्षी दलों के साथ से जहां बड़ा मुद्दा छीन लिया, वहीं ये बताने में कामयाब हो रहे हैं कि ये आंदोलन कृषि कानून के खिलाफ नहीं था। कृषि कानून […]