फाइनल लोकेशन सर्वे अंतिम चरण में पहुंचा, लंबाई घटने से बचेंगे 350 करोड़ रुपए
इंदौर। अमित जलधारी। पश्चिम रेलवे छोटा उदेपुर-धार रेल परियोजना (Western Railway Chhota Udepur-Dhar Rail Project) में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। पहले यह संभावना टटोली जा रही थी कि धार के बजाय अमझेरा में इंदौर-दाहोद रेल लाइन से छोटा उदेपुर लाइन को जोड़ दिया जाए, लेकिन वहां ग्रेडिएंट (ढलान) संबंधी दिक्कतें पेश आ रही हैं। इसीलिए अब तय किया गया है कि छोटा उदेपुर लाइन को दाहोद लाइन से धार के पास स्थित तिरला (Tirla) में जोड़ा जाए। इसे लेकर हर स्तर पर आधिकारिक सैद्धांतिक सहमति बन गई है। फिलहाल रेल लाइन को तिरला में जोडऩे के लिए तेजी से फाइनल लोकेशन सर्वे हो रहा है।
सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह बदलाव करने से रेलवे के लगभग 350 करोड़ रुपए बचेंगे। रेलवे को सात किलोमीटर लंबाई का ट्रैक नहीं बिछाना होगा। बताया जाता है कि अमझेरा से धार के बीच छोटा उदेपुर और दाहोद लाइन कुछ दूरी पर समानांतर बिछ रही थीं, जिसका रेलवे की दृष्टि से कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा था। यही वजह है कि धार से पहले तिरला पर ही दोनों लाइनों का संगम करा दिया जाएगा। इस संबंध में पश्चिम रेलवे और रेलवे बोर्ड के आला अफसरों को भी अवगत करा दिया गया है। पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के आग्रह पर रेल मंत्रालय ने दोनों रेल लाइनों को अमझेरा में जोडऩे का सर्वे किया था, लेकिन सर्वे में यह विकल्प ज्यादा बेहतर नहीं पाया गया।
धार को नहीं होगा कोई नुकसान
सूत्रों ने बताया कि रेल लाइन का संगम तिरला में होने से धार को कोई नुकसान नहीं होगा। दोनों लाइनों से गुजरने वाली हर ट्रेन धार होकर ही गुजरेगी। इससे धार में बनने वाले रेलवे स्टेशन के आकार-प्रकार में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा और वहां का स्टेशन पहले से तय डिजाइन के अनुरूप ही बनेगा, जबकि तिरला एक सामान्य स्टेशन की तरह बनेगा। स्टेशन का काम इसी साल से शुरू करने की तैयारी है।
सिक्स लेन के रेल ओवर ब्रिज नहीं बनाना पड़ेंगे
अफसर बताते हैं कि धार या अमझेरा के बजाय तिरला में दोनों लाइनों को जोड़ा जाता है तो रेलवे को इंदौर-अहमदाबाद नेशनल हाईवे के लिए दो रेल ओवरब्रिज बनाना पड़ते। यह हाईवे भले ही फोर लेन है, लेकिन भविष्य के विस्तार को देखते हुए रेल ओवरब्रिज सिक्स लेन बनाना पड़ेंगे। चूंकि हाईवे बन चुका है, इसलिए इसका पूरा खर्च रेलवे को ही उठाना पड़ता।
दूसरा तर्क यह दिया जा रहा है कि सात किलोमीटर लंबाई में दोनों रेल लाइन कुछ दूरी पर बिछने वाली थीं, जबकि अब सिंगल लाइन से ही काम हो जाएगा। इस तरह सात किलोमीटर रेल लाइन निर्माण की लागत भी बचेगी और जमीन का पैसा भी बचेगा। इन वजहों से करीब 350 करोड़ रुपए की बचत होगी।
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