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    अब 10 से 15 साल के लिए मिलेगी प्रदूषण की एनओसी

  • January 07, 2022

    • उद्योग संचालकों, होटल इंडस्ट्री को मिली कई सौगातें
    • अनुमति शुल्क भी 70 प्रतिशत घटाया

    इंदौर। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री मध्यप्रदेश (Association of Industry Madhya Pradesh) की अगुआई में गुरुवार को कलेक्टर (Collector) की अध्यक्षता में उद्योपतियों के लिए आयोजित प्रदूषण नियंत्रण सम्बन्धित कार्यशाला में उद्योग संचालको को एक साथ कई सौगातें मिल गईं। प्रदूषण नियंत्रण विभाग (pollution control department) ने आवेदन मिलने के बाद पहली बार में ही अल्प प्रदूषण वाले यानी ग्रीन कैटेगरी (Green Category) वाले उद्योगों व होटल इंडस्ट्री (hotel industry) को 15 साल के लिए मध्यम प्रदूषण यानी ऑरेंज कैटेगरी वाले उद्योगों के लिए 10 साल के लिए तो वहीं रेड कैटेगरी यानी खतरनाक प्रदूषण वाले उद्योगों के लिए 5 साल तक की एक साथ एनओसी (NOC) देने का वादा किया है। अभी तक उद्योगों के लिए हर साल अनुमति यानी एनओसी लेना पड़ती थी। इसके लिए उद्योग संचालको को प्रदूषण विभाग के कई चक्कर लगाना पड़ते थे। इसके अलावा सभी तरह के उद्योगों व होटल इंडस्ट्री को भारी भरकम अनुमति शुल्क के मामले में सबसे बड़ी राहत मिली है। प्रदूषण नियंत्रण सम्बन्धित अनुमति यानी सम्मति शुल्क में 70 प्रतिशत फीस कम कर दी गई है ।

    कार्यशाला में उद्योगों को पानी की कमी की बात सामने आते ही नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल (Municipal Commissioner Pratibha Pal) ने नगर निगम के चार एमएलडी वाले सीटीईपी (CTEP with MLD) की उद्योगों के हवाले करने का भी ऐलान किया। यानी अब उद्योगों का चार एमएलडी पानी का ट्रीटमेंट किया जा सकेगा। अभी तक सीटीईपी का उपयोग सीवरेज लाइन के तीन एमएलडी प्रदूषित पानी लिए तो एक एमएलडी, उद्योगों के प्रदूषित पानी के लिए होता आ रहा है।


    निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने शहर में सीवरेज तथा औद्योगिक इकाइयों के उपचारित जल के लिये बनाये गये प्लांट्स (Plants) की भी जानकारी देते हुए बताया कि सांवेर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में सीटीईपी प्लांट (CTEP Plant in Industrial Area) बनाया गया है। इसमें औद्योगिक इकाइयों के उपचारित जल का संग्रह होता है। उन्होंने बताया कि इस प्लांट तक उपचारित जल पहुंचाने के लिये पाइप लाइन का विस्तार किया जा रहा है। 14 किलोमीटर और नई लाइन बिछाई जायेगी। उन्होंने बताया कि नदी-नालों में दूषित जल छोडऩे वाली इकाइयों का लगातार सर्वे कराया जा रहा है। एआईएमपी के अध्यक्ष प्रमोद डाफरिया और योगेश मेहता ने बताया कि उद्योगपतियो के अनुसार उनके लिए वाकई यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

    उद्योग नदियों को सुरक्षित रखें… शिप्रा में गंदा पानी नहीं मिले: कलेक्टर
    कार्यशाला में कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम मां शिप्रा नदी (mother shipra river) के जल को पूरी तरह से पवित्र और शुद्ध बनाये रखें। इसके लिये जरूरी है कि इस नदी में किसी तरह का दूषित जल नहीं मिले। शिप्रा नदी के जल की शुद्धता के लिये औद्योगिक इकाइयों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि सभी औद्योगिक इकाइयां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम, निर्देशों और मापदण्डों का पूरा पालन करें। वे यह सुनिश्चित करें कि उनके उद्योगों से निकलने वाला दूषित जल सीवरेज लाइन में नहीं मिलें। उद्योगों में ही दूषित जल के निस्तारण की व्यवस्था की जाये। नियमानुसार ट्रीटमेंट प्लांट बनाये जाएं। इस ट्रीटमेंट प्लांट (treatment plants) से निकलने वाले जल को सीटीईपी में प्रवाहित करने की व्यवस्था करें। जिन औद्योगिक क्षेत्रों में इस प्लांट तक जल पहुंचाने के लिये लाइन है, वह लाइन के माध्यम से तथा जिन औद्योगिक क्षेत्रों में लाइन नही है, वे टैंकरों के माध्यम से इस प्लांट तक उपचारित जल पहुंचाएं। इस दौरान ट्रीटमेंट प्लांट बनाने तथा दूषित जल को उपचारित करने के संबंध में तकनीकी जानकारी देने के लिये शाश्वत गुप्ता को जवाबदारी सौंपी गई है। कार्यशाला के दौरान सभी उद्योगपतियो ने शिप्रा नदी में अपने उद्योगों का प्रदूषित पानी नहीं मिलने देने की शपथ ली।

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