नई दिल्ली। भारतीय नौसेना का सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (आईएमएसी) राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरुकता (एनएमडीए) केंद्र में तब्दील होगा। यह नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस सिस्टम का मुख्य केंद्र होगा जो समुद्रों में जहाजों को ट्रैक करने के साथ ही तटीय राडार से डेटा प्राप्त करेगा। इससे पूरे हिन्द महासागर में भारतीय नौसेना किसी भी जहाज को ट्रैक कर सकेगी। हिन्द महासागर क्षेत्र समुद्री यातायात के लिए वाणिज्यिक राजमार्ग है जिससे कई देशों के व्यापारिक जहाज गुजरते हैं। इन पर निगरानी के लिए इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (आईएमओ) ने स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) के ऑनबोर्ड ऑपरेशनल यूज के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। हालांकि भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और संबंधित एजेंसियों को मुंबई हमले के बाद इस कदर मजबूत कर दिया गया है कि अब दोबारा 26/11 जैसी आतंकी वारदातों को दोहराए जाने की संभावना कम है लेकिन फिर भी एनएमडीए एक बहु-एजेंसी केंद्र होगा जिसमें सभी हितधारक मौजूद होंगे। इसे स्थापित करने का कारण भारतीय नौसेना के सभी परिचालन केंद्रों, निचले हिस्सों, विशाल तटरेखा और द्वीप क्षेत्रों के साथ तटरक्षक बल को जोड़ना है। यह नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस सिस्टम का मुख्य केंद्र है जो समुद्रों में जहाजों को ट्रैक करने के साथ ही तटीय राडार से डेटा प्राप्त करता है।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से 2012 में अनुमोदन मिलने के बाद स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) को लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से 2014 में गुरुग्राम में स्थापित किया गया था। यह केंद्र ट्रांसपोंडर व्यापारी जहाजों, वायु और यातायात प्रबंधन प्रणाली और वैश्विक शिपिंग डेटाबेस हासिल करता है। दरअसल 26/11 के आतंकवादी हमले के बाद 20 मीटर से अधिक लंबे मछली पकड़ने के जहाजों पर एआईएस ट्रांसपोंडर स्थापित करने के लिए निर्देशित किया गया था। अब 20 मीटर से कम मछली पकड़ने वाले जहाजों को भी इसमें शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि हिन्द महासागर क्षेत्र में मौजूद 12 हजार से अधिक मछली पकड़ने वाले जहाजों पर नज़र रखना बहुत बड़ी चुनौती है।
इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (आईएमओ) ने जहाज पर स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) के ऑनबोर्ड ऑपरेशनल यूज के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। एआईएस मुख्य रूप से समुद्री वातावरण में सुरक्षित नेविगेशन के माध्यम से जीवन की सुरक्षा बढ़ाने के लिए है। समुद्री नियमों में जीवन की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि एआईएस प्रणाली जहाज पर डेटा शिप-टू-शिप और किनारे-आधारित सुविधाओं का आदान-प्रदान करे। इसके अलावा एआईएस का उपयोग जहाजों और एसएआर (खोज और बचाव) के संचालन को पहचानने, ट्रैक करने में मदद करने और अनिवार्य सूचना को आदान-प्रदान करने के लिए है। एआईएस एक डिजिटल डिस्प्ले के साथ शिपबॉर्न क्लोज पॉइंट ऑफ़ एप्रोच और टाइम टू क्लोज़ेस्ट पॉइंट ऑफ़ अप्रोच की गणना करके स्वचालित जानकारी के प्रावधान को सक्षम बनाता है और दो समर्पित चैनलों पर काम करता है। (हि.स.)