भोपाल। मप्र को प्राकृतिक खेती में अव्वल बनाने के लिए पीएम मोदी की सलाह पर अमल शुरू हो गया है। सोयाबीन की प्राकृतिक खेती पर विचार के लिए इंदौर में सेमिनार हो रहा है। इसमें देशभर के 150 से ज्यादा कृषि वैज्ञानिक, सोयाबीन किसान और कृषि अधिकारी शामिल हो रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और किसान कल्याण मंत्रालय के अधिकारी भी इसमें शामिल होने आ रहे हैं। ये विशेषज्ञ किसानों से ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती पर चर्चा करेंगे।
हाल ही में 13 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश की स्टार्टअप पॉलिसी लांच करते हुए कहा था कि इंदौर जिस तरह सफाई में नंबर वन है उसी तरह इसके प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में भी देश भर में उदाहरण बनना चाहिए। इंदौर प्राकृतिक खेती करने वाला देश का पहला जिला बने। प्रधानमंत्री की इसी अपील पर भारतीय सोयाबीन अनुसंधान परिषद अमल करने जा रहा है। उसने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इंदौर में अखिल भारतीय सोयाबीन रिसर्च परियोजना की बैठक 17 और 18 मई को बुलायी है। इसमें देश भर के 150 से ज्यादा सोयाबीन वैज्ञानिक, किसान और अधिकारी शामिल होंगे। इसमें प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती के अलावा सोयाबीन की नई किस्म की संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी। सोयाबीन खेती में नई तकनीकी और चार नई किस्मों के बारे में भी किसानों को जानकारी दी जाएगी।
भारत में रम गयी विदेशी फसल
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर की डायरेक्टर नीता खांडेकर का कहना है सोयाबीन एक विदेशी फसल है, जो यूएसए से आई है। इसे भारत ने एडॉप्ट किया है। लेकिन अपने देश में क्लाइमेट इतना चेंज हो गया है कि इसके सरवाइव करने में टाइम लग रहा है। अब कुछ किस्में ऐसे आ गई हैं जो इस मौसम के हिसाब से पैदावार दे रही हैं। इन्हीं किस्मों पर हमारा फोकस है। किसानों से इन्हीं किस्मों को उगाने की अपील की जा रही है।
न उर्वरक न कीटनाशक
मध्यप्रदेश को सोयाबीन राज्य का दर्जा दिया गया है। यहां देश में कुल उत्पादन का 50 फीसदी सोयाबीन होता है। ऐसे में इस फसल की प्राकृतिक खेती की जाएगी यानि उर्वरकों और कीटनाशकों को उपयोग नहीं किया जाएगा तो ये अच्छी पहल होगी। हालांकि प्राकृतिक खेती की अपनी समस्याएं हैं लेकिन इस पर न केवल चर्चा शुरू हो गई है बल्कि इसके लिए प्रयास भी शुरू हो गए हैं,ये अपने आप में बड़ी बात है।
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