भोपाल। मप्र भाजपा के सभी 36 सांसद (28 लोकसभा और 8 राज्यसभा) 15 मई से पूरी तरह मिशन मोड में आ जाएंगे। विधानसभा और लोकसभा चुनाव को देखते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी भाजपा सांसदों को दिया है। अब मप्र भाजपा के सभी सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का फीडबैक लेंगे और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाएंगे। गौरतलब है कि भाजपा ने मप्र में 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य के लिए सत्ता और संगठन मोर्चे पर है। इसको देखते हुए पार्टी के रणनीतिकारों ने सांसदों को भी मैदान में सक्रिय करने की रणनीति बनाई है। सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में विधानसभा और लोकसभा चुनाव का प्रचार-प्रसार एक साथ करेंगे।
9 साल की उपलब्धियां गिनाएंगे
अपने संसदीय क्षेत्र में सांसद नौ साल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा किए गए कामों को जनता के बीच गिनाएंगे और अपने-अपने क्षेत्रों में इनका प्रचार करेंगे। 15 मई से 15 जून तक सभी सांसद अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में जनता के बीच रहेंगे। वे इस दौरान अपने लोकसभा क्षेत्र में साथ ही भाजपा सरकार के 9 साल पूरे होने पर किसी भी माध्यम से प्रचार करेंगे। बता दें कि लोकसभा चुनाव में एक साल का समय बचा है। यही वजह है कि विपक्ष जहां सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में जुटा है, वहीं सरकार भी जनता के बीच अपने कामों को पहुंचाने में जुट गई है।
लोकसभा में भाजपा को मिले थे अधिक वोट
भाजपा ने मप्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 51 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। भाजपा इसे प्राप्त कर भी लेती है तो वह लोकसभा चुनाव- 2019 में मिलने वाले 53 प्रतिशत वोट से कम ही होगा। दरअसल, पार्टी की बड़ी चिंता लोकसभा व विधानसभा चुनाव में मिलने वाले वोटों में 12 प्रतिशत का बड़ा अंतर ही है। हालांकि इनमें मुद्दे, चेहरे और दायरा अलग-अलग होता है, फिर भी यह अंतर बड़ा है। बता दें कि भाजपा को वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 41 प्रतिशत वोट तो वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 53 प्रतिशत वोट मिले थे। 230 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा को 109 सीटें ही मिली थीं, तो प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में भाजपा की झोली में 28 सीटें आई थीं।
वोट शेयर बढ़ाने के लिए प्रयास
दरअसल, लोकसभा चुनाव में भाजपा को केंद्र सरकार की गरीब कल्याण की योजनाओं, मोदी फैक्टर और केंद्रीय नेताओं के काम का लाभ मिल जाता है। लोकसभा चुनाव में ज्यादा वोट मिलने का एक बड़ा कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि है। भाजपा लोकसभा चुनाव सिर्फ पीएम मोदी के चेहरे और उनकी जनहितैषी योजनाओं पर लड़ती है। दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में डबल इंजन सरकार, शिवराज फैक्टर और गरीब कल्याण की योजनाओं का असर तो होता है लेकिन विधायकों और स्थानीय नेताओं को लेकर एंटी इनकंबैंसी (सत्ता विरोधी रुझान) से वोट शेयर पर काफी असर पड़ता है। इसी अंतर को काफी हद तक कम करने के लिए भाजपा उन विधानसभा सीटों के आंकड़े खंगाल रही है, जहां वोट शेयर में बड़ा अंतर था। पार्टी ऐसी सीटों पर जातिगत समीकरण, स्थानीय मुद्दे और नेताओं के संदर्भ में जानकारी जुटा रही है। साथ ही वोट शेयर बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास शुरू करने की तैयारी में है।
डबल इंजन सरकार के फार्मूले पर निर्भर
इसके अतिरिक्त भाजपा वोट शेयर बढ़ाने के लिए डबल इंजन सरकार के फार्मूले पर सबसे ज्यादा निर्भर दिखाई दे रही है। मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना के साथ केंद्र की कई योजनाओं को मध्य प्रदेश में हितग्राही के लिए अधिक फायदेमंद बनाने के साथ ऐसी योजनाएं भी शुरू की गई हैं, जिसे भाजपा की सरकार होने पर ही जारी रखने की स्थिति बनती हो। जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में केंद्र के 6000 रुपये के साथ ही प्रदेश सरकार अपनी ओर से भी 4000 रुपये जोड़ती है। गरीबों के लिए आवास योजना में भी केंद्र सरकार के साथ प्रदेश सरकार बड़ी राशि खर्च कर रही है।
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