sनई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि भारत के वित्तीय क्षेत्र में परिचालन कर रही फेसबुक, गूगल और अमेजन जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों का प्रासंगिक कानूनों के तहत नियमन किया जा रहा है और उन्हें जरूरी अनुपालन के बाद ही परिचालन की मंजूरी दी गयी है। रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दिल्ली उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भी उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान इसी तरह की बातें कही। सेबी ने कहा कि प्रतिभूति बाजार में प्रवेश करने को लेकर किसी भी निकाय के लिये अनिवार्य पंजीयन के पर्याप्त प्रावधान हैं।
आरबीआई ने कहा कि एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के परिचालन के बारे में किसी निकाय को मंजूरी देना पूरी तरह से भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के अधिकार क्षेत्र में है। एनपीसीआई ही इससे संबंधित नियम, दिशानिर्देश और यूपीआई भुगतान की निगरानी संबंधी प्रक्रियाएं बनाता है। रेशमी पी भास्करन के द्वारा दायर पीआईएल के जवाब में आरबीआई ने कहा कि एनपीसीआई ने उचित मानदंडों के आधार पर अमेजन को यूपीआई के एकल प्रायोजक बैंक मॉडल के तहत और गूगल व व्हाट्सऐप को बहु बैंक मॉडल के तहत तीसरा पक्ष ऐप प्रदाता के रूप में काम करने की अनुमति दी है।
भास्करन ने वकील दीपक प्रकाश के माध्यम से दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि भारतीय वित्तीय नियामकों के त्रुटिपूर्ण दृष्टिकोण ने वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों के अनियमित संचालन की अनुमति दी है। उन्होंने दावा किया है कि इससे देश की वित्तीय स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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