उज्जैन। भाजपा संगठन में बूथ और मंडल अध्यक्ष का निर्वाचन होने के बाद जिलाध्यक्ष (नगर-ग्रामीण) के चुनाव की बारी हैं। इसमें तय किया हैं कि पहले रायशुमारी के आधार पर ही नाम तय किया जाएगा, जरूरत पड़ी तो लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराएं जाएँगे। इसमें किसी तरह का दबाव, भेदभाव होना चाहिए।
संगठन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी
भाजपा महिला वोटर्स पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहती। अब आगे संगठन चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। जिलाध्यक्ष के साथ ही संगठन में विभिन्न पदों पर महिलाओं को अधिक से अधिक अवसर देने की तैयारी चल रही है। वहीं भाजपा के संगठनात्मक जिलों में आरक्षण जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन पार्टी आरक्षित-गैर आरक्षित क्षेत्र में नया प्रयोग कर रही है। पार्टी नेताओं का विचार है कि आरक्षित क्षेत्रों में पंचायत से लेकर विधायक या सांसद तक के सारे पद आरक्षित रहते हैं। ऐसे में वहां सामान्य वर्ग के कार्यकर्ताओं के समायोजन के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है। यही वजह है कि पार्टी आरक्षित क्षेत्र (विधानसभा-लोकसभा) में आने वाले नगर-जिलों में सामान्य वर्ग और गैर आरक्षित क्षेत्रों में एससी-एसटी, पिछड़ा वर्ग को अवसर दिया जाए। ऐसा कर पार्टी समानता और सभी के सम्मान का संदेश देना चाहती हैं।
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